Wednesday, July 24, 2013

Murli [24-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-बाप का राइट हैण्ड बन, सर्विस का शौक रख श्रीमत पर 

पूरा-पूर अटेन्शन दो, अखबारों में कोई सर्विस की बात निकले तो उसे पढ़कर सर्विस में लग जाओ'' प्रश्न:- बाप का नाम तुम बच्चे कब बाला कर सकेंगे? 
उत्तर:- जब तुम्हारी चलन बड़ी रॉयल और गम्भीर होगी। तुम शक्तियों की चाल ऐसी चाहिए जैसे डेल (मोरनी)। तुम्हारे मुख से सदैव रत्न निकलने चाहिए, पत्थर नहीं। पत्थर निकालने वाले नाम बदनाम करते हैं। फिर उनका पद भी भ्रष्ट हो जाता है। बाप का बनकर कोई भी विकर्म न हो-इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखना है। 

गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) श्रीमत पर श्रेष्ठाचारी बनकर श्रेष्ठाचारी बनाने की सेवा करनी है। कोई ऐसी 
चलन नहीं चलनी है जिससे नाम बदनाम हो। मुख से सदा रत्न निकालने हैं, पत्थर नहीं। 

2) बेहद की गुह्य पढ़ाई को विस्तार से सुनते उसे सार में समाकर दूसरों की सेवा करनी है। श्रीमत पर पूरा अटेन्शन देना है। 

वरदान:- सदा साक्षी स्थिति में स्थित रह निर्लेप अवस्था का अनुभव करने वाले सहजयोगी भव 

जो देह के संबंध और देह से साक्षी अर्थात न्यारे हैं वह इस पुरानी दुनिया से भी साक्षी हो जाते हैं। वे सम्पर्क में आते हुए, देखते हुए भी सदा न्यारे और प्यारे रहते हैं। यह स्टेज ही सहजयोगी का अनुभव कराती है। इसी को कहते हैं साथ में रहते हुए भी निर्लेप। आत्मा निर्लेप नहीं है लेकिन आत्म-अभिमानी स्टेज निर्लेप अर्थात् माया के लेप व आकर्षण से परे है। इस अवस्था में रहने वाले माया के वार से बच जाते हैं। 

स्लोगन:- शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा सूक्ष्म सेवा करने वाले ही महान आत्मा हैं।