Wednesday, July 17, 2013

Murli [17-07-2013]-Hindi



मुरली सार:- ''मीठे बच्चे- भोलानाथ बाबा आये हैं भक्तों को भक्ति का फल देने, उन्हें अगम-निगम 
का भेद सुनाकर मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा देने'' 

प्रश्न:- 21 जन्मों के लिए राजाई पद की प्राप्ति किन बच्चों को होती है? प्रजा में कौन जाते हैं? 
उत्तर:- जो मातेले बन बाप पर पूरा-पूरा बलिहार जाते हैं उन्हें राजाई पद प्राप्त होता है और जो सौतेले हैं, 
बलिहार नहीं जाते हैं वो 21 जन्म ही प्रजा में चले जाते हैं। तुम श्रीमत पर चल अपने ही योगबल से 
राजाई का तिलक लेते हो। यहाँ हथियार आदि की बात नहीं। तुम्हें बुद्धियोग बल से मायाजीत-जगतजीत 
बनना है। 

गीत:- भोलेनाथ से निराला........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) माया पर जीत पाकर हमें श्रीकृष्ण समान जगतजीत बनना है। इस युद्ध के मैदान में सदा 
विजयी बनना है। हार नहीं खानी है। 

2) श्रीमत से स्वयं को विकारों के बंधन और कर्मबन्धन से मुक्त करना है। अशरीरी बनने का अभ्यास 
करना है। बुद्धियोग की दौड़ी लगानी है। 

वरदान:- समाने और समेटने की शक्ति द्वारा एकाग्रता का अनुभव करने वाले सार स्वरूप भव 

देह, देह के सम्बन्धों वा पदार्थो का बहुत बड़ा विस्तार है, सभी प्रकार के विस्तार को सार रूप में लाने के 
लिए समाने वा समेटने की शक्ति चाहिए। सर्व प्रकार के विस्तार को एक बिन्दू में समा दो। मैं भी बिन्दु, 
बाप भी बिन्दु, एक बाप बिन्दु में सारा संसार समाया हुआ है। तो बिन्दु रूप अर्थात् सार स्वरूप बनना 
माना एकाग्र होना। एकाग्रता के अभ्यास द्वारा सेकण्ड में जहाँ चाहो, जब चाहो बुद्धि उसी स्थिति में स्थित 
हो सकती है। 

स्लोगन:- जो सदा रूहानियत की स्थिति में रहते हैं वही रूहानी गुलाब हैं।