Saturday, July 6, 2013

Murli [6-07-2013]-Hindi

मीठे बच्चे - अपने कैरेक्टर्स सुधारने के लिए याद की यात्रा में रहना है, बाप की याद ही तुम्हें सदा सौभाग्यशाली बनायेगी'' 
प्रश्न- अवस्था की परख किस समय होती है? अच्छी अवस्था किसकी कहेंगे? 
उत्तरः- अवस्था की परख बीमारी के समय होती है। बीमारी में भी खुशी बनी रहे और खुशमिजाज़ चेहरे से सबको बाप की याद दिलाते रहो, यही है अच्छी अवस्था। अगर खुद रोयेंगे, उदास होंगे तो दूसरों को खुशमिजाज़ कैसे बनायेंगे? कुछ भी हो जाए - रोना नहीं है। 

धारणा के लिए मुख्य सारः- 
1) अपना टाइम रूहानी धन्धे में सफल करना है। हीरे जैसा जीवन बनाना है। अपने को सावधान करते रहना है। शरीर समझने की कड़ी बीमारी से बचने का पुरुषार्थ करना है। 
2) कभी भी माया का दास नहीं बनना है, अन्दर में बैठ जाप जपना है कि हम आत्मा हैं। खुशी रहे हम बेगर से प्रिन्स बन रहे है। 

वरदानः- अव्यभिचारी और निर्विघ्न स्थिति द्वारा फर्स्ट जन्म की प्रालब्ध प्राप्त करने वाले समीप और समान भव 
जो बच्चे यहाँ बाप के गुण और संस्कारों के समीप हैं, सर्व सम्बन्धों से बाप के साथ का वा समानता का अनुभव करते हैं वही वहाँ रायल कुल में फर्स्ट जन्म के सम्बन्ध में समीप आते हैं। फर्स्ट में वही आयेंगे जो आदि से अब तक अव्यभिचारी और निर्विघ्न रहे हैं। निर्विघ्न का अर्थ यह नहीं है कि विघ्न आये ही नहीं लेकिन विघ्न विनाशक वा विघ्नों के ऊपर सदा विजयी रहें। यह दोनों बातें यदि आदि से अन्त तक ठीक हैं तो फर्स्ट जन्म में साथी बनेंगे। 
स्लोगनः- साइलेन्स की पॉवर से निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करो।