Tuesday, July 16, 2013

Murli [12-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-बाप को अपनी अवस्था का समाचार खुले दिल से दो, खुली व सच्ची 
दिल में ही बाप की याद टिक सकती है'' 

प्रश्न:- इस समय छोटे-बड़े सबकी वानप्रस्थ अवस्था होते भी तुम कौन-से बोल मुख से नहीं कह सकते हो? 
उत्तर:- बाबा, अभी जल्दी करो, अभी हम घर चलें, यहाँ तो बहुत दु:ख है। बाबा कहते-तुम बच्चे ऐसा 
कभी नहीं कह सकते क्योंकि तुम अभी ईश्वर के सम्मुख बैठे हो। अभी तुम्हें शीतल गोद मिली है। 
इस समय तुम ऊंचे ते ऊंचे बने हो। सतयुग में डिग्री कम हो जायेगी। दैवी सन्तान बनेंगे, 
ईश्वरीय नहीं इसलिये तुम जल्दी नहीं कर सकते। 

गीत:- तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है........ 

धारणा के लिये मुख्य सार:- 

1) स्कॉलरशिप लेने के लिये अच्छी रीति पढ़ना है, तख्त-नशीन बनने की दौड़ लगानी है। कर्म करते याद में रहना है। 

2) हम रूहानी यात्रा पर हैं, इसलिये और सबकी याद बुद्धि से निकाल बाप की याद में निरन्तर रहना है।
याद का रजिस्टर ठीक रखना है। 

वरदान:- सर्वशक्तिमान के साथ की अनुभूति द्वारा सर्व प्राप्तियों का अनुभव करने वाले तृप्त आत्मा भव 

जहाँ सर्वशक्तिमान बाप है वहाँ सर्व प्राप्तियों का अनुभव स्वत: होता है। जैसे बीज है तो झाड समाया हुआ है। 
ऐसे सर्वशक्तिमान बाप का साथ है तो सदा मालामाल, सदा तृप्त, सदा सम्पन्न होंगे। कभी किसी बात में 
कमजोर नहीं होंगे, कभी कोई कम्पलेन्ट नहीं करेंगे, सदा कम्पलीट। क्या करें, कैसे करें...यह कम्पलेन्ट 
नहीं। क्यों की क्यू समाप्त। जो सदा साथ रहते हैं वह चलेंगे भी साथ। 

स्लोगन:- नयनों में जैसे नूर समाया हुआ है ऐसे बुद्धि में शिव पिता की याद समाई हो।