Friday, July 19, 2013

Murli [19-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-इस ज्ञान में गम्भीरता का गुण धारण करना बहुत जरूरी है, कभी भी अपना 
अभिमान नहीं आना चाहिए, माताओं का रिगार्ड रखो'' 

प्रश्न:- सभी बच्चों के प्रति बाप की आश क्या है? वह आश पूरी कब कर सकेंगे? 
उत्तर:- बाप की आश है-बच्चे ऐसा पुरुषार्थ करें जो नर से नारायण बनकर दिखायें। इसमें ही बाप का शो 
होगा। ऐसा शो निकालो जो बाप का भी गायन हो तो बच्चों का भी गायन हो। बाबा कहे-बच्चे, अगर तुम 
नर से नारायण बनेंगे तो तुम्हारा भी मन्दिर बनेगा और हमारा भी बनेगा। ऐसा पूज्य बनने लिए फॉलो 
फादर। अपने आपसे प्रण करो-हम पूरा ही फॉलो करेंगे। 

गीत:- जिस दिन से मिले हम तुम........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) आपस में एकमत होकर रहना है। एक दो को रिगॉर्ड देना है। रूठकर कभी भी पढ़ाई नहीं छोड़नी है। 

2) क्रोध बहुत नुकसान-कारक है इसलिए जो बात पसन्द नहीं आती है, उसे एक कान से सुन दूसरे से 
निकाल देना है। क्रोध नहीं करना है। बहुत-बहुत मीठा बनना है। 

वरदान:- विजय के उमंग-उत्साह द्वारा नाउम्मींदी को उम्मीदों में परिवर्तन करने वाले निश्चयबुद्धि भव 

अगर निश्चय अटूट है तो विजय सदा है ही, विजय का उमंग-उत्साह सदा रहे, नाउम्मींदी के संस्कार न हों। 
कोई भी मुश्किल कार्य इतना सहज अनुभव हो जैसे कोई बड़ी बात ही नहीं है क्योंकि अनेक बार कार्य कर 
चुके हैं, कोई नई बात नहीं कर रहे हैं, इसलिए नाउम्मीदीं का नामनिशान भी न रहे, कोई भी स्वभाव-संस्कार 
में यह संकल्प न आये कि पता नहीं यह परिवर्तन होगा या नहीं, हैं ही सदा के विजयी। 

स्लोगन:- शक्तिशाली बनना है तो सदा खजानों की स्मृति और सिमरण में रहो।