मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम बाप को याद करो, यही याद विश्व के लिए योगदान है,
प्रश्न:- किन बच्चों की सम्भाल अन्त समय में स्वयं बापदादा करते हैं?
उत्तर:- जो बच्चे बहुत समय से कांटों को फूल बनाने की सर्विस में तत्पर रहते हैं।
गीत:- प्रीतम आन मिलो........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की याद में रहना है और सबको याद दिलाना है, यही दान करते रहना है।
2) साक्षी हो हरेक एक्टर का पार्ट देखना है। हम पार्ट पूरा कर खुशी से वापस जा
वरदान:- बाप के दिये हुए खजाने को मनन कर अपना बनाने वाले सदा हर्षित, सदा निश्चिंत भव
आप बच्चों के मनन वा सिमरण करने का चित्र भक्ति मार्ग में विष्णु का दिखाया है। सांप
स्लोगन:- स्व परिवर्तक वह है जिसके अन्दर सदा यह शुभ भावना इमर्ज रहे कि बदला
इसी से विश्व पावन बनेगा, बेड़ा पार हो जायेगा''
प्रश्न:- किन बच्चों की सम्भाल अन्त समय में स्वयं बापदादा करते हैं?
उत्तर:- जो बच्चे बहुत समय से कांटों को फूल बनाने की सर्विस में तत्पर रहते हैं।
बाप के पूरे-पूरे मददगार हैं, ऐसे बच्चों की अन्त समय में बाप स्वयं सम्भाल करते हैं।
बाबा कहते-मैं अपने मददगार बच्चों को वन्डरफुल सीन-सीनरियां दिखलाकर खूब
बहलाऊंगा। वह अन्त में बहुत सुख देखेंगे। साक्षात्कार करते रहेंगे। 2- जिन्हें ''एक
बाप दूसरा न कोई'' यह पाठ पक्का है, ऐसे बच्चों को ही बाप की मदद मिलती है।
गीत:- प्रीतम आन मिलो........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की याद में रहना है और सबको याद दिलाना है, यही दान करते रहना है।
बाप पर बलि चढ़कर फिर ट्रस्टी हो सम्भालना है।
2) साक्षी हो हरेक एक्टर का पार्ट देखना है। हम पार्ट पूरा कर खुशी से वापस जा
रहे हैं-इस स्मृति में सदा रहना है।
वरदान:- बाप के दिये हुए खजाने को मनन कर अपना बनाने वाले सदा हर्षित, सदा निश्चिंत भव
आप बच्चों के मनन वा सिमरण करने का चित्र भक्ति मार्ग में विष्णु का दिखाया है। सांप
को शैया बना दिया अर्थात् विकार अधीन हो गये। माया से हार खाने की, युद्ध करने की
कोई चिंता नहीं, सदा मायाजीत अर्थात् निश्चिंत। रोज़ ज्ञान की नई-नई प्वाइंट स्मृति में
रख मनन करो तो बड़ा मजा आयेगा, सदा हर्षित रहेंगे क्योंकि बाप का दिया हुआ खजाना
मनन करने से अपना अनुभव होता है।
स्लोगन:- स्व परिवर्तक वह है जिसके अन्दर सदा यह शुभ भावना इमर्ज रहे कि बदला
नहीं लेना है बदलकर दिखाना है।