Monday, July 22, 2013

Murli [22-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - प्रतिज्ञा करो-जब तक सतयुगी स्वराज्य स्थापन नहीं हुआ है तब तक हम सुख की 
नींद नहीं सोयेंगे, पवित्र बनकर सबको पवित्र बनायेंगे'' 

प्रश्न:- ड्रामा में कौन-सी मौत होना भी जैसे संगमयुग की रस्म है? 
उत्तर:- विजय माला में आने का पुरुषार्थ करने वाले अच्छे-अच्छे बच्चे भी आश्चर्यवत् सुनन्ती, कथन्ती फिर 
भागन्ती हो जाते अर्थात् मर जाते हैं। ऐसी मौत भी संगमयुग की जैसे रस्म बन गई है। श्रीमत पर न चलने से 
माया हरा देती है। बाप का बनकर हाथ छोड़ा तो गोया मर गया। तकदीर पर लकीर लग जाती है। 

गीत:- दर पर आये हैं कसम ले के........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) बाप से पूरा-पूरा लव रख मातेला बनना है। अपना पूरा समाचार बाप को देना है। कभी भी कपूत नहीं बनना है। 

2) रक्षा बन्धन का यथार्थ रहस्य बुद्धि में रख पवित्र जरूर बनना है। माया से कभी हार नहीं खानी है। पवित्रता के 
बल से स्वराज्य लेने की प्रतिज्ञा करनी है। 

वरदान:- सदा मिलन के झूले में झूलने वाले तत त्वम् के वरदानी बाप समान भव 

जैसे बापदादा आप मालिकों की आज्ञा को मानकर मिलन मनाने के लिए आते हैं, जी हाजिर का पाठ पढ़कर हाजिर 
हो जाते हैं ऐसे ही तत् त्वम्। अमृतवेले से लेकर दिन के समाप्त‍ि तक धर्म और कर्म में बाप समान बनो तो सदा 
मिलन के झूले में झूलते रहेंगे। इस मिलन के झूले में रहने से प्रकृति और माया दोनों ही आपके झूले को झुलाने 
वाले दासी बन जायेंगे। सर्व खजाने आपके इस श्रेष्ठ झूले का श्रृंगार बन जायेंगे। 

स्लोगन:- सदा ब्रह्मा बाप की भुजाओं में समाये रहो तो सेफ्टी का अनुभव करेंगे।