मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-आप मुये मर गई दुनिया, बाप का बनना अर्थात् देह-अभिमान
प्रश्न:- अन्त का समय समीप देखते हुए कौन-सा स्लोगन सदा याद रखना है?
उत्तर:- ''किनकी दबी रहेगी धूल में, किनकी राजा खाए.....''- यह स्लोगन सदा याद रखो
गीत:- मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वराज्य के लिए बाप पर बलि चढ़ना है। एम-ऑब्जेक्ट सदा सामने रखनी है।
2) बाप से जो ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, वह सदा खुला रहे। माया की प्रवेशता न हो
वरदान:- परिस्थितियों को साइडसीन समझ पार कर आगे बढ़ने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
सदा अपने मास्टर सर्वशक्तिमान स्वरूप की स्मृति में रहो तो हर परिस्थिति ऐसे अनुभव होगी
स्लोगन:- ऐसे सहजयोगी बनो जो आपको देखने से ही दूसरों का योग लग जाए।
टूटना, एक बाप के सिवाए और कुछ भी याद न आये''
प्रश्न:- अन्त का समय समीप देखते हुए कौन-सा स्लोगन सदा याद रखना है?
उत्तर:- ''किनकी दबी रहेगी धूल में, किनकी राजा खाए.....''- यह स्लोगन सदा याद रखो
क्योंकि अभी दु:ख के पहाड़ गिरने हैं, सबका मौत होना है। तुम बच्चे तो अभी बाप पर पूरा
बलि चढ़ते हो, तुम्हारा सब-कुछ सफल हो रहा है। तुम एक जन्म बलि चढ़ते, बाप 21 जन्मों
के लिए बलिहार जाता है। 21 जन्म तुम्हें लौकिक माँ-बाप के वर्से की दरकार नहीं। द्वापर से
फिर जैसा कर्म वैसा फल मिलता है।
गीत:- मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वराज्य के लिए बाप पर बलि चढ़ना है। एम-ऑब्जेक्ट सदा सामने रखनी है।
पुरुषार्थ कर सूर्यवंशी बनना है।
2) बाप से जो ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, वह सदा खुला रहे। माया की प्रवेशता न हो
जाए इसका पूरा ध्यान रखना है। योग अग्नि से विकर्माजीत बनना है।
वरदान:- परिस्थितियों को साइडसीन समझ पार कर आगे बढ़ने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
सदा अपने मास्टर सर्वशक्तिमान स्वरूप की स्मृति में रहो तो हर परिस्थिति ऐसे अनुभव होगी
जैसे एक साइडसीन है। परिस्थिति समझने से घबरा जाते लेकिन साइड सीन अर्थात् रास्ते के
नजारे समझेंगे तो सहज पार कर लेंगे क्योंकि नजारों को देख खुशी होती है, घबराते नहीं,
विघ्न-विघ्न नहीं है लेकिन आगे बढ़ने का साधन है। परीक्षा से क्लास आगे बढ़ता है, इसलिए
कभी कोई बात में रुको नहीं, सदा मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ - इस स्मृति से उड़ती कला का
अनुभव करते रहो।
स्लोगन:- ऐसे सहजयोगी बनो जो आपको देखने से ही दूसरों का योग लग जाए।