Tuesday, July 23, 2013

Murli [23-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-कदम-कदम पर शिवबाबा की श्रीमत लेनी है, अपना सब समाचार ब्रह्मा द्वारा बाप को देना है'' 


प्रश्न:- एक बाप के बच्चे होते भी कोई प्रीत बुद्धि हैं, कोई विपरीत बुद्धि हैं - कैसे? 
उत्तर:- जो बच्चे अपना पूरा कनेक्शन बापदादा से रखते हैं, किसी बात में संशयबुद्धि नहीं बनते हैं, सच्चा-सच्चा पोतामेल ब्रह्मा के थ्रू शिवबाबा को सुनाते हैं वह हैं प्रीत बुद्धि बच्चे। अगर किसी भी बात से ब्रह्मा या ब्राह्मणी से रूठ जाते, चिट्ठी नहीं देते और सोचते-हमारा ब्रह्मा से कोई कनेक्शन नहीं, शिवबाबा को ही याद करना है तो उनकी बुद्धि को माया पकड़ लेती है। वह हैं जैसे विपरीत बुद्धि। 

गीत:- मुझको सहारा देने वाले........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सदा खुश राज़ी रहने के लिए कदम-कदम पर बाप से राय लेनी है। शिवबाबा को ब्रह्मा के थ्रू याद करना है। अपना समाचार देते रहना है। 

2) कभी भी किसी बात में संशय नहीं उठाना है। ब्राह्मणी से या ब्रह्मा बाप से रूठकर पढ़ाई नहीं छोड़नी है। सदा प्रीत बुद्धि रहना है। 

वरदान:- सम्पूर्णता द्वारा सम्पन्नता की प्रालब्ध का अनुभव करने वाले सर्व झमेलों से मुक्त भव 

संगमयुग पर सागर गंगा से अलग नहीं, गंगा सागर से अलग नहीं। इसी समय नदी और सागर के समाने का मेला होता है। जो इस मेले में रहते हैं वह सर्व झमेलों से मुक्त हो जाते हैं। लेकिन इस मेले का अनुभव वही कर सकते हैं जो समान बनते हैं। समान बनना अर्थात् समा जाना। जो सदा स्नेह में समाये हुए हैं वह सम्पूर्णता और सम्पन्नता की प्रालब्ध का अनुभव करते हैं। उन्हें कोई भी अल्पकाल के प्रालब्ध की इच्छा नहीं रहती। 

स्लोगन:- सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहो तो होलीएस्ट और हाइएस्ट बन जायेंगे।