Friday, February 15, 2013

Murli [15-02-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मण ही गॉडली स्टूडेन्ट हो, तुम्हें बाप ने रचता और रचना का ज्ञान देकर मास्टर जानी-जाननहार बनाया है, अभी तुम सब कुछ जान जाते हो'' 
प्रश्न:- दूसरों को समझाने की फलक किन बच्चों में रहेगी? 
उत्तर:- जिनके पास ज्ञान की पूँजी है। जो स्वयं हर बात को समझकर धारण करते हैं वही दूसरों को फ़लक से समझा सकते हैं। तुम्हें फ़लक से सबको बाप का परिचय दे उनसे वर्सा लेने की विधि बतानी है। 
गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) ज्ञान को कण्ठ कर मास्टर ज्ञान सागर अथवा ज्ञान गंगा बन पतितों को पावन बनाने की सेवा करनी है। 
2) हर एक को बहुत युक्ति से समझाना है, किसी से भी डिसकस नहीं करनी है। सबको बाप का परचिय देना है। 
वरदान:- भाग्य और भाग्य विधाता बाप की स्मृति में रह भाग्य बांटने वाले फ्राकदिल महादानी भव 
भाग्य विधाता बाप और भाग्य दोनों ही याद रहें तब औरों को भी भाग्यवान बनाने का उमंग-उत्साह रहेगा। जैसे भाग्यविधाता बाप ब्रह्मा द्वारा भाग्य बांटते हैं ऐसे आप भी दाता के बच्चे हो, भाग्य बांटते चलो। वे लोग कपड़ा बांटेंगे, अनाज बांटेंगे, कोई गिफ्ट देंगे.. लेकिन उससे कोई तृप्त नहीं हो सकते। आप भाग्य बांटो तो जहाँ भाग्य है वहाँ सब प्राप्तियां हैं। ऐसे भाग्य बांटने में फ्राकदिल, श्रेष्ठ महादानी बनो। सदा देते रहो। 
स्लोगन:- जो एकनामी रहते और एकॉनामी से चलते हैं, वही प्रभू प्रिय हैं।