Wednesday, February 20, 2013

Murli [20-02-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप तुम्हें हद और बेहद की नॉलेज दे, फिर इससे भी पार घर ले जाते हैं, सतयुग त्रेता है हद, द्वापर कलियुग है बेहद'' 
प्रश्न:- बाप द्वारा मिली हुई नॉलेज में मजबूत कौन रह सकता है? 
उत्तर:- जो पूरा पवित्र बनता है। पवित्र नहीं तो नॉलेज धारण नहीं होती। पवित्र गोल्डन एजेड बुद्धि में ही सारी नॉलेज धारण होती है, वही बाप समान मास्टर नॉलेजफुल बनते हैं। 
प्रश्न:- पुरुषार्थ करते-करते तुम बच्चों की कौन सी स्टेज बन जायेगी? 
उत्तर:- अब तक जो उल्टे सुल्टे संकल्प-विकल्प चलते वह सब समाप्त हो जायेंगे। बुद्धियोग एक बाप से लग जायेगा। बुद्धि सोने का बर्तन बन जायेगी। बाप जो भी रत्न देते हैं वह सब धारण होते जायेंगे। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) उल्टे सुल्टे संकल्पों से मुक्त होने के लिए बुद्धियोग हद बेहद से पार घर में लगाना है। दैहिक दृष्टि समाप्त करने के लिए आत्मा भाई-भाई हूँ - यह अभ्यास पक्का करना है। 
2) अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना है। बुद्धि को सोना (पवित्र) बनाने के लिए और सब तरफ से निकाल एक बाप से लगाना है। 
वरदान:- श्रेष्ठ जीवन की स्मृति द्वारा विशाल स्टेज पर विशेष पार्ट बजाने वाले हीरो पार्टधारी भव 
ब्रह्मा बाप ने आप बच्चों को दिव्य जन्म देते ही - पवित्र भव योगी भव का वरदान दिया। जन्मते ही बड़ी माँ के रूप में पवित्रता के प्यार से पालना की। सदा खुशियों के झूले में झुलाया, सर्वगुण मूर्त, ज्ञान मूर्त, सुख-शान्ति स्वरूप बनने की हर रोज़ लोरी दी, ऐसे मात-पिता के श्रेष्ठ बच्चे ब्रह्माकुमार कुमारी हैं, इस जीवन के महत्व को स्मृति में रख विश्व की विशाल स्टेज पर विशेष पार्ट, हीरो पार्ट बजाओ। 
स्लोगन:- बिन्दू शब्द के महत्व को जान बिन्दू बन, बिन्दू बाप को याद करना ही योगी बनना है।