Wednesday, February 6, 2013

Murli [3-02-2013]-Hindi

03-02-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त बापदादा” रिवाइज 18-01-96 मधुबन
”सदा समर्थ रहने की सहज विधि – शुभचिंतन करो और शुभचिंतक बनो”
वरदान:- अपनी सर्व विशेषताओं को कार्य में लगाकर उनका विस्तार करने वाले सिद्धि स्वरूप भव
जितना-जितना अपनी विशेषताओं को मन्सा सेवा वा वाणी और कर्म की सेवा में लगायेंगे तो वही विशेषता विस्तार को पाती जायेगी। सेवा में लगाना अर्थात् एक बीज से अनेक फल प्रगट करना। इस श्रेष्ठ जीवन में जो जन्म सिद्ध अधिकार के रूप में विशेषतायें मिली हैं उनको सिर्फ बीज रूप में नहीं रखो, सेवा की धरनी में डालो तो फल स्वरूप अर्थात् सिद्धि स्वरूप का अनुभव करेंगे।
स्लोगन:- विस्तार को न देख सार को देखो और स्वयं में समा लो-यही तीव्र पुरुषार्थ है।