Tuesday, February 12, 2013

Murli [12-02-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप से सर्व संबंधों का सुख लेना है तो और सबसे बुद्धि की प्रीत निकाल मामेकम् याद करो, यही मंजिल है'' 
प्रश्न:- तुम बच्चे इस समय कौन सा अच्छा कर्म करते हो, जिसके रिटर्न में साहूकार बन जाते हो? 
उत्तर:- सबसे अच्छे से अच्छा कर्म है - ज्ञान रत्नों का दान करना। यह अविनाशी ज्ञान खजाना ही ट्रांसफर हो 21 जन्मों के लिए विनाशी धन बन जाता है, इससे ही मालामाल बन जाते। जो जितना ज्ञान रत्नों को धारण कर दूसरों को धारण कराते हैं उतना साहूकार बनते हैं। अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना - यही है सर्वोत्तम सेवा। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) श्वांसों श्वांस बाप को याद करना है, एक भी श्वांस व्यर्थ नहीं गवाना है। कोई भी कर्म ऐसा नहीं करना है जो विकर्म बन जाए। 
2) उस्ताद के हाथ में हाथ दे सम्पूर्ण पावन बनना है। कभी क्रोध के वशीभूत होकर माया से हार नहीं खानी है। पहलवान बनना है। 
वरदान:- अमृतवेले के महत्व को जान महान बनने वाले विशेष सेवाधारी भव 
सेवाधारी अर्थात् आंख खुले और सदा बाप के साथ बाप के समान स्थिति का अनुभव करें। जो विशेष वरदान के समय को जानते हैं और वरदानों का अनुभव करते हैं वही विशेष सेवाधारी हैं। अगर यह अनुभव नहीं तो साधारण सेवाधारी हुए, विशेष नहीं। जिसे अमृतवेले का, संकल्प का, समय का और सेवा का महत्व है ऐसे सर्व महत्व को जानने वाले महान बनते हैं और औरों को भी महत्व बतलाकर महान बनाते हैं। 
स्लोगन:- जीवन की महानता सत्यता की शक्ति है जिससे सर्व आत्मायें स्वत: झुकती हैं।