Tuesday, February 19, 2013

Murli [19-02-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - यह गॉड फादरली वर्ल्ड युनिवर्सिटी है - मनुष्य से देवता, नर से नारायण बनने की, जब यह निश्चय पक्का हो तब तुम यह पढ़ाई पढ़ सको'' 
प्रश्न:- मनुष्य से देवता बनने के लिए तुम बच्चे इस समय कौन सी मेहनत करते हो? 
उत्तर:- आंखों को क्रिमिनल से सिविल बनाने की, साथ-साथ मीठा बनने की। सतयुग में तो हैं ही सबकी आंखें सिविल। वहाँ यह मेहनत नहीं होती। यहाँ पतित शरीर, पतित दुनिया में तुम बच्चे आत्मा भाई-भाई हो - यह निश्चय कर आंखों को सिविल बनाने का पुरुषार्थ कर रहे हो। 
प्रश्न:- भक्तों की किस एक बात से सर्वव्यापी की बात गलत हो जाती है? 
उत्तर:- कहते हैं हे बाबा जब आप आयेंगे तो हम आप पर वारी जायेंगे... तो आना सिद्ध करता है वह यहाँ नहीं है। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) इस पुरानी दुनिया से बेहद का सन्यास करना है। शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते रूहानी यात्रा पर रहना है। 
2) पुरुषार्थ कर आंखों को सिविल जरूर बनाना है। एम आब्जेक्ट बुद्धि में रख बहुत-बहुत मीठा बनना है। 
वरदान:- सेवा के क्षेत्र में स्व-सेवा और सर्व की सेवा का बैलेन्स रखने वाले मायाजीत भव 
सर्व की सेवा के साथ-साथ पहले स्व सेवा आवश्यक है। यह बैलेन्स सदा स्व में और सेवा में उन्नति को प्राप्त कराता है इसलिए सेवा के क्षेत्र में भाग-दौड़ करते दोनों बातों का बैलेन्स रखो तो मायाजीत बन जायेंगे। बैलेन्स रखने से कमाल होती है। नहीं तो सेवा में बाह्यमुखता के कारण कमाल के बजाए अपने वा दूसरों के भाव-स्वभाव की धमाल में आ जाते हो। सेवा की भाग-दौड़ में माया बुद्धि की भाग दौड़ करा देती है। 
स्लोगन:- अपनी विशेषताओं के बीज को सर्वशक्तियों के जल से सींच कर उन्हें फलदायक बनाओ।