Saturday, February 16, 2013

Murli [16-02-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - इस पुरानी दुनिया में और कोई भी आश न रख भविष्य ऊंच पद पाने के लिए सिर्फ नष्टोमोहा बनो, बाप को याद करो और पवित्र रहो'' 
प्रश्न:- बाप कौन सा सीधा सरल रास्ता बताते हैं, किस बात से बाप का तैलुक नहीं? 
उत्तर:- बाप बच्चों को शान्तिधाम, सुखधाम चलने का सीधा-सादा रास्ता बताते - बच्चे सिर्फ बाप को याद करो और पवित्र रहो। बाकी तुम्हारे सामने कोई विपदा आती, दु:ख वा बीमारी आती, देवाला मारते.. यह सब तुम्हारे अपने ही कर्मो का हिसाब है, इनसे बाप का कोई तैलुक नहीं। बाप युक्तियां बताते हैं, कर्मबन्धन से छूटना हरेक बच्चे का काम है। 
प्रश्न:- कोई-कोई बच्चे किस एक कारण से सर्विस लायक नहीं बनते? 
उत्तर:- फैमिलियरिटी का हल्का नशा है, माया का अन्दर कीड़ा लगा है - इस कारण सर्विस लायक नहीं बन सकते। 
गीत:- लौट गया गम का जमाना... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) अपने हाथ में लॉ नहीं उठाना है। आपस में बहुत-बहुत मीठा रहना है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है। ब्रह्म मुहूर्त में उठ बाप से मीठी-मीठी बातें करनी है। 
2) सेकेण्ड में नष्टोमोहा बनना है। पवित्र रहने की युक्ति निकालनी है। हिम्मत रखनी है। ज्ञान-योगबल से हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं। 
वरदान:- ज्ञान को रमणीकता से सिमरण कर आगे बढ़ने वाले सदा हर्षित, खुशनसीब भव 
यह सिर्फ आत्मा, परमात्मा का सूखा ज्ञान नहीं है। बहुत रमणीक ज्ञान है, सिर्फ रोज़ अपना नया-नया टाइटिल याद रखो-मैं आत्मा तो हूँ लेकिन कौन सी आत्मा हूँ, कभी आर्टिस्ट की आत्मा हूँ, कभी बिजनेसमैन की आत्मा हूँ... ऐसे रमणीकता से आगे बढ़ते रहो। जैसे बाप भी रमणीक है देखो कभी धोबी बन जाता तो कभी विश्व का रचयिता, कभी ओबीडियन्ट सर्वेन्ट...तो जैसा बाप वैसे बच्चे....ऐसे ही इस रमणीक ज्ञान का सिमरण कर हर्षित रहो, तब कहेंगे खुशनसीब। 
स्लोगन:- सच्चे सेवाधारी वह हैं जिनकी हर नस अर्थात् संकल्प में सेवा के उमंग-उत्साह का खून भरा हुआ है।