Wednesday, February 27, 2013

Murli [27-02-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सूर्यवंशी विजय माला का दाना बनने के लिए श्रीमत पर पूरा पावन बनो, पावन बनने वाले बच्चे धर्मराज़ की सजाओं से छूट जाते हैं'' 
प्रश्न:- देही-अभिमानी बनने की मेहनत में लगे हुए बच्चों को कौन सा नशा रहेगा? 
उत्तर:- मैं बाबा का हूँ, मैं बाबा के ब्रह्माण्ड का मालिक हूँ, बाबा से वर्सा ले विश्व का मालिक बनता हूँ। यह नशा देही-अभिमानी रहने वाले बच्चों को ही रहता, वही वारिस बनते हैं। उन्हें पुरानी दुनिया के सम्बन्ध याद नहीं रहते। देह-अभिमान में आने से ही माया की चमाट लगती है। खुशी गुम हो जाती है इसलिए बाबा कहते बच्चे देही-अभिमानी बनने की मेहनत करो। अपना चार्ट रखो। 
गीत:- आने वाले कल की तुम तकदीर हो ... 
धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) रूप-बसन्त बन मुख से सदैव ज्ञान रत्न निकालने हैं। देवताओं जैसा खुशमिजाज़ बनना है। 
2) ज्ञान और योग बल से विकर्म विनाश कर बाप से डबल वर्सा (मुक्ति-जीवनमुक्ति का) लेना है। 
वरदान:- अपने शुभ चिंतन द्वारा वातावरण को शक्तिशाली बनाने वाले सदा सहयोगी सन्तुष्ट आत्मा भव 
कभी किसी बात के कारण वातावरण नीचे ऊपर होता है तो सहयोगी आत्माओं का काम है हलचल में आने के बजाए वातावरण को शक्तिशाली बनाने में सहयोगी बनना। सदा सहयोगी अर्थात् सदा सन्तुष्ट। एक बाप दूसरा न कोई। कोई भी संकल्प आये तो ऊपर देकर स्वयं नि:संकल्प हो जाओ। स्व-उन्नति और सेवा की उन्नति में बिजी रहो। शुभ भावना से जो शुभ सकंल्प रखेंगे वह पूरा अवश्य होगा लेकिन उसके लिए अवस्था एकरस हो और चिंतन शुभ हो। 
स्लोगन:- सबसे बड़े धनवान वह हैं जिनके पास पवित्रता का सर्वश्रेष्ठ खजाना है।