Wednesday, February 6, 2013

Murli [2-02-2013]-Hindi


मीठे बच्चे – यह भूल-भुलैया का खेल है, तुम घड़ी-घड़ी बाप को भूल जाते हो, निश्चचबुद्धि बनो तो इस खेल में फसेंगे नहीं”
प्रश्न:- कयामत के समय को देखते हुए तुम बच्चों का कर्तव्य क्या है?
उत्तरः- तुम्हारा कर्तव्य है – अपनी पढ़ाई में अच्छी रीति लग जाना, और बातों में नहीं जाना है। बाप तुम्हें नयनों पर बिठाकर, गले का हार बनाकर साथ ले जायेंगे। बाकी तो सबको अपना-अपना हिसाब-किताब चुक्तू करके जाना ही है। बाप आये हैं सबको अपने साथ घर ले जाने।
गीतः- दूर देश का रहने वाला……..
धारणा के लिए मुख्य सारः-
1) याद की यात्रा में रहकर सच्ची-सच्ची दीपावली रोज मनानी है। अपना नया खाता 21 जन्मों के लिए जमा करना है।
2) ड्रामा के राज़ को बुद्धि में रख पढ़ाई के सिवाए और किसी भी बात में नहीं जाना है। सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं।
वरदानः- सदा निजधाम और निज स्वरूप की स्मृति से उपराम, न्यारे प्यारे भव
निराकारी दुनिया और निराकारी रूप की स्मृति ही सदा न्यारा और प्यारा बना देती है। हम हैं ही निराकारी दुनिया के निवासी, यहाँ सेवा अर्थ अवतरित हुए हैं। हम इस मृत्युलोक के नहीं लेकिन अवतार हैं सिर्फ यह छोटी सी बात याद रहे तो उपराम हो जायेंगे। जो अवतार न समझ गृहस्थी समझते हैं तो गृहस्थी की गाड़ी कीचड़ में फंसी रहती है, गृहस्थी है ही बोझ की स्थिति और अवतार बिल्कुल हल्का है। अवतार समझने से अपना निजी धाम निजी स्वरूप याद रहेगा और उपराम हो जायेंगे।
स्लोगनः- ब्राह्मण वह है जो शुद्धि और विधि पूर्वक हर कार्य करे।