Wednesday, February 6, 2013

Murli [4-02-2013]-Hindi

मुरली सार:- ”मीठे बच्चे – अभी यह तुम्हारा अन्तिम जन्म है, खेल पूरा होता है इसलिए पावन बन घर जाना है, फिर सतयुग से हिस्ट्री रिपीट होगी”
प्रश्न:- घरबार सम्भालते हुए कौन सी कमाल तुम बच्चे ही कर सकते हो?
उत्तर:- घरबार सम्भालते, पुरानी दुनिया में रहते सभी से ममत्व मिटा देना। देह सहित जो भी पुरानी चीजें हैं उन्हें भूल जाना… यह है तुम बच्चों की कमाल, इसे ही सतोप्रधान सन्यास कहा जाता है, जो बाप ही तुम्हें सिखलाते हैं। तुम बच्चे इस अन्तिम जन्म में पवित्र रहने की प्रतिज्ञा करते हो फिर 21 जन्म के लिए यह पवित्रता कायम हो जाती है। ऐसी कमाल और कोई कर नहीं सकता।
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता…
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) कोई भी चित्र का सिमरण नहीं करना है। विचित्र बाप को बुद्धि से याद करना है। बुद्धि योग ऊपर लटकाना है।
2) वापस घर चलना है इसलिए देह सहित सब पुरानी चीजों से ममत्व निकाल देना है। सम्पूर्ण पावन बनना है।
वरदान:- विशेषता देखने का चश्मा पहन सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाले विश्व परिवर्तक भव
एक दो के साथ सम्बन्ध वा सम्पर्क में आते हर एक की विशेषता को देखो। विशेषता देखने की ही दृष्टि धारण करो। जैसे आजकल का फैशन और मजबूरी चश्मे की है। तो विशेषता देखने वाला चश्मा पहनो। दूसरा कुछ दिखाई ही न दे। जैसे लाल चश्मा पहन लो तो हरा भी लाल दिखाई देता है। तो विशेषता के चश्में द्वारा कीचड़ को न देख कमल को देखने से विश्व परिवर्तन के विशेष कार्य के निमित्त बन जायेंगे।
स्लोगन:- परचिंतन और परदर्शन की धूल से सदा दूर रहो तो बेदाग अमूल्य हीरा बन जायेंगे।