मीठे बच्चे - निरन्तर याद रहे कि हमारा बाबा, बाप भी है, टीचर भी है तो सतगुरू भी है,
प्रश्न:- माया की धूल जब आंखों में पड़ती है तो सबसे पहली गफ़लत कौन-सी होती है?
उत्तर:- माया पहली गफ़लत कराती जो पढ़ाई को ही छोड़ देते। भगवान् पढ़ाते हैं, यह
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इन आंखों से जो कुछ दिखाई देता है, उनसे ममत्व मिटाना है, एक बाप को ही देखना
वरदान:- त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट हो हर कर्म करने वाले शक्तिशाली आत्मा भव
जो बच्चे त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट होकर हर समय, हर कर्म करते हैं, वो जानते हैं
स्लोगन:- सर्व शक्ति व ज्ञान सम्पन्न बनना ही संगमयुग की प्रालब्ध है।
यह याद ही मनमनाभव है''
प्रश्न:- माया की धूल जब आंखों में पड़ती है तो सबसे पहली गफ़लत कौन-सी होती है?
उत्तर:- माया पहली गफ़लत कराती जो पढ़ाई को ही छोड़ देते। भगवान् पढ़ाते हैं, यह
भूल जाता है। बाप के बच्चे ही बाप की पढ़ाई को छोड़ देते हैं, यह भी वन्डर है। नहीं तो
नॉलेज ऐसी है जो अन्दर ही अन्दर खुशी में नाचते रहें, परन्तु माया का प्रभाव कोई
कम नहीं है। वह पढ़ाई को ही छुड़ा देती है। पढ़ाई छोड़ी माना अबसेन्ट हुए।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इन आंखों से जो कुछ दिखाई देता है, उनसे ममत्व मिटाना है, एक बाप को ही देखना
है। वृत्ति को शुद्ध बनाने के लिए इन छी-छी शरीरों की तरफ जरा भी ध्यान न जाये।
2) बाप जो न्यारी और सत्य नॉलेज सुनाते हैं, वह अच्छी तरह पढ़नी और पढ़ानी है।
पढ़ाई कभी मिस नहीं करनी है।
वरदान:- त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट हो हर कर्म करने वाले शक्तिशाली आत्मा भव
जो बच्चे त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट होकर हर समय, हर कर्म करते हैं, वो जानते हैं
कि बातें तो अनेक आनी हैं, होनी हैं, चाहे स्वयं द्वारा, चाहे औरों द्वारा, चाहे माया वा
प्रकृति द्वारा सब प्रकार से परिस्थितियाँ तो आयेंगी, आनी ही हैं लेकिन स्व-स्थिति
शक्तिशाली है तो पर-स्थिति उसके आगे कुछ भी नहीं है। सिर्फ हर कर्म करने के
पहले उसके आदि-मध्य-अन्त तीनों काल चेक करके, समझ करके फिर कुछ भी
करो तो शक्तिशाली बन परिस्थितियों को पार कर लेंगे।
स्लोगन:- सर्व शक्ति व ज्ञान सम्पन्न बनना ही संगमयुग की प्रालब्ध है।