Wednesday, June 11, 2014

Murli-[11-6-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - तुम्हें शरीर से अलग होकर बाप के पास जाना है, तुम शरीर को साथ नहीं ले जायेंगे, 
इसलिए शरीर को भूल आत्मा को देखो'' 

प्रश्न:- तुम बच्चे अपनी आयु को योगबल से बढ़ाने का पुरूषार्थ क्यों करते हो? 
उत्तर:- क्योंकि तुम्हारी दिल होती है कि हम बाप द्वारा सब कुछ इस जन्म में जान जायें। बाप द्वारा 
सब कुछ सुन लें, इसलिए तुम योगबल से अपनी आयु को बढ़ाने का पुरूषार्थ करते हो। अभी ही 
तुम्हें बाप से प्यार मिलता है। ऐसा प्यार फिर सारे कल्प में नहीं मिल सकता। बाकी जो शरीर 
छोड़कर चले गये, उनके लिए कहेंगे ड्रामा। उनका इतना ही पार्ट था। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप का सन्देश सुनाकर सबके दु:ख दूर करने हैं। सबको सुख का रास्ता बताना है। 
हदों से निकल बेहद में जाना है। 

2) अन्त के सब साक्षात्कार करने के लिए तथा बाप के प्यार की पालना लेने के लिए ज्ञान-योग 
में मजबूत बनना है। दूसरों का चिन्तन न कर योगबल से अपनी आयु बढ़ानी है। 

वरदान:- हर सेकण्ड के हर संकल्प का महत्व जानकर जमा का खाता भरपूर करने वाली समर्थ आत्मा भव 

संगमयुग पर अविनाशी बाप द्वारा हर समय अविनाशी प्राप्तियां होती हैं। सारे कल्प में ऐसा भाग्य 
प्राप्त करने का यह एक ही समय है - इसलिए आपका स्लोगन है ``अब नहीं तो कभी नहीं''। जो भी 
श्रेष्ठ कार्य करना है वह अभी करना है। इस स्मृति से कभी भी समय, संकल्प वा कर्म व्यर्थ नहीं 
गंवायेंगे, समर्थ संकल्पों से जमा का खाता भरपूर हो जायेगा और आत्मा समर्थ बन जायेगी। 

स्लोगन:- हर बोल, हर कर्म की अलौकिकता ही पवित्रता है, साधारणता को अलौकिकता में परिवर्तन कर दो।