मीठे बच्चे - पक्का-पक्का निश्चय करो कि हम आत्मा हैं, आत्मा समझकर हर काम
प्रश्न:- कर्मातीत स्थिति को प्राप्त करने के लिए कौन-सी मेहनत हर एक को करनी है?
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप जो सच्ची-सच्ची कहानी सुनाते हैं, वह अटेन्शन से सुननी और धारण करनी है,
2) वापस घर चलना है, इसलिए योगबल से शरीर की कशिश समाप्त करनी है।
वरदान:- ब्राह्मण जीवन की नेचरल नेचर द्वारा पत्थर को भी पानी बनाने वाले मास्टर प्रेम के सागर भव
जैसे दुनिया वाले कहते हैं कि प्यार पत्थर को भी पानी कर देता है, ऐसे आप ब्राह्मणों
स्लोगन:- अपनी विशेषताओं को स्मृति में रख उन्हें सेवा में लगाओ तो उड़ती कला में उड़ते रहेंगे।
शुरू करो तो बाप याद आयेगा, पाप नहीं होगा''
प्रश्न:- कर्मातीत स्थिति को प्राप्त करने के लिए कौन-सी मेहनत हर एक को करनी है?
कर्मातीत स्थिति के समीपता की निशानी क्या है?
उत्तर:- कर्मातीत बनने के लिए याद के बल से अपनी कर्मेन्द्रियों को वश में करने की
उत्तर:- कर्मातीत बनने के लिए याद के बल से अपनी कर्मेन्द्रियों को वश में करने की
मेहनत करो। अभ्यास करो मैं निराकार आत्मा निराकार बाप की सन्तान हूँ। सब
कर्मेन्द्रियां निर्विकारी बन जायें-यह है जबरदस्त मेहनत। जितना कर्मातीत अवस्था
के समीप आते जायेंगे उतना अंग-अंग शीतल, सुगन्धित होते जायेंगे। उनसे विकारी
बांस निकल जायेगी। अतीन्द्रिय सुख का अनुभव होता रहेगा।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप जो सच्ची-सच्ची कहानी सुनाते हैं, वह अटेन्शन से सुननी और धारण करनी है,
बाप से कुछ भी मांगना नहीं है। 21 जन्मों के लिए अपनी कमाई जमा करनी है।
2) वापस घर चलना है, इसलिए योगबल से शरीर की कशिश समाप्त करनी है।
कर्मेन्द्रियों को शीतल बनाना है। इस देह का भान छोड़ने का पुरूषार्थ करना है।
वरदान:- ब्राह्मण जीवन की नेचरल नेचर द्वारा पत्थर को भी पानी बनाने वाले मास्टर प्रेम के सागर भव
जैसे दुनिया वाले कहते हैं कि प्यार पत्थर को भी पानी कर देता है, ऐसे आप ब्राह्मणों
की नेचुरल नेचर मास्टर प्रेम का सागर है। आपके पास आत्मिक प्यार, परमात्म प्यार
की ऐसी शक्ति है, जिससे भिन्न-भिन्न नेचर को परिवर्तन कर सकते हो। जैसे प्यार
के सागर ने अपने प्यार स्वरूप की अनादि नेचर से आप बच्चों को अपना बना लिया।
ऐसे आप भी मास्टर प्यार के सागर बन विश्व की आत्माओ को सच्चा, नि:स्वार्थ
आत्मिक प्यार दो तो उनकी नेचर परिवर्तन हो जायेगी।
स्लोगन:- अपनी विशेषताओं को स्मृति में रख उन्हें सेवा में लगाओ तो उड़ती कला में उड़ते रहेंगे।