मीठे बच्चे - ``मायाजीत बनने के लिए गफ़लत करना छोड़ो, दु:ख देना और दु:ख लेना -
प्रश्न:- बाप की हम सब बच्चों के प्रति कौन-सी एक आश है?
उत्तर:- बाप की आश है कि मेरे सभी बच्चे मेरे समान एवर प्योर बन जायें। बाप एवर गोरा
2) एम आब्जेक्ट को सामने रख बहुत खबरदारी से चलना है। आत्मा को सतोप्रधान पवित्र
वरदान:- सोच-समझकर हर कर्म करने वाले पश्चाताप से मुक्त ज्ञानी तू आत्मा भव
दुनिया में भी कहते हैं पहले सोचो फिर करो। जो सोचकर नहीं करते, करके फिर सोचते हैं तो
स्लोगन:- रहमदिल बन सर्व गुणों और शक्तियों का दान देने वाले ही मास्टर दाता हैं।
यह बहुत बड़ी गफ़लत है, जो तुम बच्चों को नहीं करनी चाहिए''
प्रश्न:- बाप की हम सब बच्चों के प्रति कौन-सी एक आश है?
उत्तर:- बाप की आश है कि मेरे सभी बच्चे मेरे समान एवर प्योर बन जायें। बाप एवर गोरा
है, वह आया है बच्चों को काले से गोरा बनाने। माया काला बनाती, बाप गोरा बनाते हैं।
लक्ष्मी-नारायण गोरे हैं, तब काले पतित मनुष्य जाकर उनकी महिमा गाते हैं, अपने को
नीच समझते हैं। बाप की श्रीमत अब मिलती है-मीठे बच्चे, अब गोरा सतोप्रधान बनने
का पुरूषार्थ करो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) यह टाइम मोस्ट वैल्युबल है, इसमें ही पुरूषार्थ कर बाप पर पूरा वारी जाना है। दैवी गुण
धारण करने है। कोई प्रकार की गफ़लत नहीं करनी है। एक बाप की मत पर चलना है।
2) एम आब्जेक्ट को सामने रख बहुत खबरदारी से चलना है। आत्मा को सतोप्रधान पवित्र
बनाने की मेहनत करनी है। अन्दर में जो भी दाग़ हैं, उन्हें जांच कर निकालना है।
वरदान:- सोच-समझकर हर कर्म करने वाले पश्चाताप से मुक्त ज्ञानी तू आत्मा भव
दुनिया में भी कहते हैं पहले सोचो फिर करो। जो सोचकर नहीं करते, करके फिर सोचते हैं तो
पश्चाताप का रूप हो जाता है। पीछे सोचना, यह पश्चाताप का रूप है और पहले सोचना -
यह ज्ञानी तू आत्मा का गुण है। द्वापर-कलियुग में तो अनेक प्रकार के पश्चाताप ही करते
रहे लेकिन अब संगम पर ऐसा सोच समझकर संकल्प वा कर्म करो जो कभी मन में भी,
एक सेकण्ड भी पश्चाताप न हो, तब कहेंगे ज्ञानी तू आत्मा।
स्लोगन:- रहमदिल बन सर्व गुणों और शक्तियों का दान देने वाले ही मास्टर दाता हैं।