Thursday, June 5, 2014

Murli-[5-6-2014]-Hindi

"मीठे बच्चे-देवता बनने के पहले तुम्हें ब्राह्मण ज़रूर बनना है, ब्रह्मा मुख सन्तान ही सच्चे ब्राह्मण हैं जो 
राजयोग की पढ़ाई से देवता बनते हैं"   

प्रश्न:-दूसरे सभी सत्संगो से तुम्हारा यह सत्संग किस बात में निराला है?

उत्तर:- दूसरे सत्संगो में कोई भी एम ऑब्जेक्ट नहीं होती है, और ही धन-दौलत आदि सब कुछ गँवा कर 
भटकते रहते हैं | इस सत्संग में तुम भटकते नहीं हो | यह सत्संग के साथ-साथ स्कूल भी है | स्कूल में 
पढ़ना होता है, भटकना नहीं | पढ़ाई मना कमाई | जितना तुम पढ़कर धारण करते और कराते हो उतनी 
कमाई है | इस सत्संग में आना मना फायदा ही फायदा |

धारणा के लिए मुख्य सार:-  

1. ज्ञान का सिमरण कर स्वदर्शन चक्रधारी बनना है | स्वदर्शन चक्र फिराते पापों को काटना है | 
डबल अहिंसक बनना है | 

2. अपनी बुद्धि को स्वच्छ पवित्र बनाकर राजयोग की पढ़ाई पढ़नी है और ऊँच पद पाना है | 
दिल में सदा यही ख़ुशी रहे कि हम सत्य नारायण की सच्ची-सच्ची कथा सुनकर मनुष्य से देवता बनते हैं |
 
वरदान:-  अटेंशन और चेकिंग द्वारा स्व सेवा करने वाले सम्पन्न और सम्पूर्ण भव !    

स्व की सेवा अर्थात स्व के ऊपर सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने का सदा अटेंशन रखना | पढ़ाई की मुख्य 
सब्जेक्ट में अपने को पास विद ऑनर बनाना | ज्ञान स्वरुप, याद स्वरुप और धारणा स्वरुप बनना यह 
स्व सेवा सदा बुद्धि में रहे तो यह सेवा स्वतः आपके सम्पन्न स्वरुप द्वारा अनेकों की सेवा कराती रहेगी 
लेकिन इसकी विधि है – अटेंशन और चेकिंग | स्व की चेकिंग करना- दूसरों की नहीं |

स्लोगन:- ज्यादा बोलने से दिमाग की एनर्जी कम हो जाती है इसलिए शार्ट और स्वीट बोलो |