मीठे बच्चे - तुम आपस में रूहानी भाई-भाई हो, तुम्हारा एक-दो से अति प्यार होना चाहिए,
प्रश्न:- रूहानी बाप को कौन-से बच्चे बहुत-बहुत प्यारे लगते हैं?
उत्तर:- 1.जो श्रीमत पर सारे विश्व का कल्याण कर रहे हैं, 2. जो फूल बने हैं, कभी भी किसी
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) प्रेम से भरपूर गंगा बनना है। सबके प्रति प्रेम की दृष्टि रखनी है। कभी भी मुख से
2) किसी भी चीज़ में लोभ नहीं रखना है। स्वदर्शन चक्रधारी होकर रहना है।
वरदान:- चतुरसुजान बाप से चतुराई करने के बजाए महसूसता शक्ति द्वारा सर्व पापों से मुक्त भव
कई बच्चे चतुरसुजान बाप से भी चतुराई करते हैं - अपना काम सिद्ध करने के लिए
स्लोगन:- जीवन में रहते भिन्न-भिन्न बंधनों से मुक्त रहना ही जीवनमुक्त स्थिति है।
तुम प्रेम से भरपूर गंगा बनो, कभी भी लड़ना-झगड़ना नहीं''
प्रश्न:- रूहानी बाप को कौन-से बच्चे बहुत-बहुत प्यारे लगते हैं?
उत्तर:- 1.जो श्रीमत पर सारे विश्व का कल्याण कर रहे हैं, 2. जो फूल बने हैं, कभी भी किसी
को कांटा नहीं लगाते, आपस में बहुत-बहुत प्यार से रहते हैं, कभी रूसते नहीं-ऐसे बच्चे
बाप को बहुत-बहुत प्यारे लगते हैं। जो देह-अभिमान में आकर आपस में लड़ते हैं, लून-पानी
होते हैं, वह बाप की इज्ज़त गंवाते हैं। वह बाप की निंदा कराने वाले निंदक हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) प्रेम से भरपूर गंगा बनना है। सबके प्रति प्रेम की दृष्टि रखनी है। कभी भी मुख से
उल्टे बोल नहीं बोलने हैं।
2) किसी भी चीज़ में लोभ नहीं रखना है। स्वदर्शन चक्रधारी होकर रहना है।
अभ्यास करना है कि अन्त समय कोई भी चीज़ याद न आये।
वरदान:- चतुरसुजान बाप से चतुराई करने के बजाए महसूसता शक्ति द्वारा सर्व पापों से मुक्त भव
कई बच्चे चतुरसुजान बाप से भी चतुराई करते हैं - अपना काम सिद्ध करने के लिए
अपना नाम अच्छा करने के लिए उस समय महसूस कर लेते हैं लेकिन उस महसूसता
में शक्ति नहीं होती इसलिए परिवर्तन नहीं होता। कई हैं जो समझते हैं यह ठीक नहीं है
लेकिन सोचते हैं कहीं नाम खराब न हो इसलिए अपने विवेक का खून करते हैं, यह भी
पाप के खाते में जमा होता है इसलिए चतुराई को छोड़ सच्चे दिल की महसूसता से
स्वयं को परिवर्तन कर पापों से मुक्त बनो।
स्लोगन:- जीवन में रहते भिन्न-भिन्न बंधनों से मुक्त रहना ही जीवनमुक्त स्थिति है।