Saturday, June 21, 2014

Murli-[21-6-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - याद से विकर्म विनाश होते हैं, ट्रांस से नहीं। ट्रांस तो पाई पैसे का खेल है, 
इसलिए ट्रांस में जाने की आश नहीं रखो'' 

प्रश्न:- माया के भिन्न-भिन्न रूपों से बचने के लिए बाप सब बच्चों को कौन-सी एक 
सावधानी देते हैं? 
उत्तर:- मीठे बच्चे, ट्रांस की आश मत रखो। ज्ञान-योग में ट्रांस का कोई कनेक्शन नहीं। 
मुख्य है पढ़ाई। कोई ट्रांस में जाकर कहते हैं हमारे में मम्मा आई, बाबा आया। यह सब 
सूक्ष्म माया के संकल्प हैं, इनसे बहुत सावधान रहना है। माया कई बच्चों में प्रवेश कर 
उल्टा कार्य करा देती है इसलिए ट्रांस की आश नहीं रखनी है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) संगमयुग पर स्वयं को ट्रांसफर करना है। पढ़ाई और पवित्रता की धारणा से अपने 
कैरेक्टर सुधारने हैं, ट्रांस आदि का शौक नहीं रखना है। 

2) शरीर निर्वाह अर्थ कर्म भी करना है, नींद भी करनी है, हठयोग नहीं है, लेकिन याद 
की यात्रा को कभी भूलना नहीं है। योगयुक्त होकर ऐसा शुद्ध भोजन बनाओ और खिलाओ 
जो खाने वाले का हृदय शुद्ध हो जाये। 

वरदान:- महसूसता की शक्ति द्वारा मीठे अनुभव करने वाले सदा शक्तिशाली आत्मा भव 

यह महसूसता की शक्ति बहुत मीठे अनुभव कराती है - कभी अपने को बाप के नूरे रत्न 
आत्मा अर्थात् नयनों में समाई हुई श्रेष्ठ बिन्दू महसूस करो, कभी मस्तक पर चमकने 
वाली मस्तक मणी, कभी अपने को ब्रह्मा बाप के सहयोगी राइट हैण्ड, ब्रह्मा की भुजायें 
महसूस करो, कभी अव्यक्त फरिश्ता स्वरूप महसूस करो..इस महसूसता शक्ति को बढ़ाओ 
तो शक्तिशाली बन जायेंगे। फिर छोटा सा दाग भी स्पष्ट दिखाई देगा और उसे परिवर्तन कर 
लेंगे। 

स्लोगन:- सर्व के दिल की दुआयें लेते चलो तो आपका पुरूषार्थ सहज हो जायेगा।