Saturday, June 7, 2014

Murli-[7-6-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - अब इस छी-छी गंदी दुनिया को आग लगनी है इसलिए शरीर सहित 
जिसे तुम मेरा-मेरा कहते हो-इसे भूल जाना है, इससे दिल नहीं लगानी है'' 

प्रश्न:- बाप तुम्हें इस दु:खधाम से नफ़रत क्यों दिलाते हैं? 
उत्तर:- क्योंकि तुम्हें शान्तिधाम-सुखधाम जाना है। इस गंदी दुनिया में अब रहना 
ही नहीं है। तुम जानते हो आत्मा शरीर से अलग होकर घर जायेगी, इसलिए इस 
शरीर को क्या देखना। किसी के नाम-रूप तरफ भी बुद्धि न जाये। गन्दे ख्यालात 
भी आते हैं तो पद भ्रष्ट हो जायेगा। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अन्तकाल में एक बाप के सिवाए दूसरा कोई याद न आये उसके लिए इस दुनिया 
में किसी से भी दिल नहीं लगानी है। छी-छी शरीरों से प्यार नहीं करना है। कलियुगी 
बन्धन तोड़ देने हैं। 

2) विशाल बुद्धि बन निडर बनना है। पुण्य आत्मा बनने के लिए कोई भी पाप अब 
नहीं करना है। पेट के लिए झूठ नहीं बोलना है। चावल मुट्ठी सफल कर सच्ची-सच्ची 
कमाई जमा करनी है, अपने ऊपर रहम करना है। 

वरदान:- शुभचिंतक स्थिति द्वारा सर्व का सहयोग प्राप्त करने वाले सर्व के स्नेही भव 

शुभचिंतक आत्माओं के प्रति हर एक को दिल का स्नेह उत्पन्न होता है और वह स्नेह 
ही सहयोगी बना देता है। जहाँ स्नेह होता है, वहाँ समय, सम्पत्ति, सहयोग सदा 
न्यौछावर करने के लिए तैयार हो जाते हैं। तो शुभचिंतक स्नेही बनायेगा और स्नेह 
सब प्रकार के सहयोग में न्यौछावर बनायेगा इसलिए सदा शुभाचिंतन से सम्पन्न 
रहो और शुभाचिंतक बन सर्व को स्नेही, सहयोगी बनाओ। 

स्लोगन:- इस समय दाता बनो तो आपके राज्य में जन्म-जन्म हर आत्मा भरपूर रहेगी।