मीठे बच्चे - तुम साहेबजादे सो शहजादे बनने वाले हो, तुम्हें किसी भी चीज़ की इच्छा नहीं
प्रश्न:- तबियत को ठीक रखने के लिए कौन-सा आधार नहीं चाहिए?
उत्तर:- कई बच्चे समझते हैं वैभवों के आधार पर तबियत ठीक रहेगी। परन्तु बाबा कहते हैं
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी को कभी न तो नाराज़ करना है, न नाराज़ होना है। अपनी होशियारी का या सेवा
2) योगबल से अपनी सब इच्छायें समाप्त करनी है। सदा इसी खुशी वा नशे में रहना है
वरदान:- ब्राह्मण जीवन में सदा चियरफुल और केयरफुल मूड में रहने वाले कम्बाइन्ड रूपधारी भव
यदि किसी भी परिस्थिति में प्रसन्नता की मूड परिवर्तन होती है तो उसे सदाकाल की प्रसन्नता
स्लोगन:- कोई भी उत्सव मनाना अर्थात् याद और सेवा के उत्साह में रहना।
रखनी है, किसी से कुछ भी मांगना नहीं है''
प्रश्न:- तबियत को ठीक रखने के लिए कौन-सा आधार नहीं चाहिए?
उत्तर:- कई बच्चे समझते हैं वैभवों के आधार पर तबियत ठीक रहेगी। परन्तु बाबा कहते हैं
बच्चे यहाँ तुम्हें वैभवों की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। वैभवों से तबियत ठीक नहीं होगी।
तबियत ठीक रखने के लिए तो याद की यात्रा चाहिए। कहा जाता है खुशी जैसी खुराक नहीं।
तुम खुश रहो, नशे में रहो। यज्ञ में दधीचि ऋषि के मिसल हड्डियाँ दो तो तबियत ठीक हो जायेगी।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी को कभी न तो नाराज़ करना है, न नाराज़ होना है। अपनी होशियारी का या सेवा
करने का अहंकार नहीं दिखाना है। जैसे बाप बच्चों का रिगॉर्ड रखते हैं ऐसे स्वयं का
रिगार्ड स्वयं ही रखना है।
2) योगबल से अपनी सब इच्छायें समाप्त करनी है। सदा इसी खुशी वा नशे में रहना है
कि हम साहेबजादे सो शहजादे बनने वाले हैं। सदा शान्ति में रह सर्विस करनी है।
रग-रग में जो भूत भरे हुए हैं, उन्हें निकाल देना है।
वरदान:- ब्राह्मण जीवन में सदा चियरफुल और केयरफुल मूड में रहने वाले कम्बाइन्ड रूपधारी भव
यदि किसी भी परिस्थिति में प्रसन्नता की मूड परिवर्तन होती है तो उसे सदाकाल की प्रसन्नता
नहीं कहेंगे। ब्राह्मण जीवन में सदा चियरफुल और केयरफुल मूड हो। मूड बदलनी नहीं चाहिए।
जब मूड बदलती है तो कहते हैं मुझे तो एकान्त चाहिए। आज मेरा मूड ऐसा है। मूड बदलती
तब है जब अकेले होते हो, सदा कम्बाइन्ड रूप में रहो तो मूड नहीं बदलेगी।
स्लोगन:- कोई भी उत्सव मनाना अर्थात् याद और सेवा के उत्साह में रहना।