Monday, June 23, 2014

Murli-[23-6-2014]-Hindi



मीठे बच्चे - लक्ष्य को सदा सामने रखो तो दैवीगुण आते जायेंगे। अब अपनी सम्भाल 
करनी है, आसुरी गुणों को निकाल दैवीगुण धारण करने हैं'' 

प्रश्न:- आयुश्वान भव का वरदान मिलते हुए भी बड़ी आयु के लिए कौन-सी मेहनत करनी है? 
उत्तर:- बड़ी आयु के लिए तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने की मेहनत करो। जितना बाप को 
याद करेंगे उतना सतोप्रधान बनेंगे और आयु बड़ी होगी फिर मृत्यु का डर निकल जायेगा। 
याद से दु:ख दूर हो जायेंगे। तुम फूल बन जायेंगे। याद में ही गुप्त कमाई है। याद से पाप 
कट जाते हैं। आत्मा हल्की हो जाती है, आयु बड़ी हो जाती है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) महान् आत्मा बनने के लिए अपवित्रता की जो भी गंदी आदतें हैं, वह मिटा देनी है। 
दु:ख देना, लड़ना-झगड़ना.... यह सब अपवित्र कर्त्तव्य हैं जो तुम्हें नहीं करने हैं। 
अपने आपको राजतिलक देने का अधिकारी बनाना है। 

2) बुद्धि को सब गोरखधन्धों से, देहधारियों से निकाल खुशबूदार फूल बनना है। 
गुप्त कमाई जमा करने के लिए चलते-फिरते अशरीरी रहने का अभ्यास करना है। 

वरदान:- सफल करने की विधि से सफलता का वरदान प्राप्त करने वाले वरदानी मूर्त भव
 
संगमयुग पर आप बच्चों को वर्सा भी है तो वरदान भी है कि ``सफल करो और सफलता 
पाओ''। सफल करना है बीज और सफलता है फल। अगर बीज अच्छा है तो फल नहीं 
मिले यह हो नहीं सकता। तो जैसे दूसरों को कहते हो कि समय, संकल्प, सम्पत्ति सब 
सफल करो। ऐसे अपने सर्व खजानों की लिस्ट को चेक करो कि कौन सा खजाना सफल 
हुआ और कौन सा व्यर्थ। सफल करते रहो तो सर्व खजानों से सम्पन्न वरदानी मूर्त बन 
जायेंगे। 

स्लोगन:- परमात्म अवार्ड लेने के लिए व्यर्थ और निगेटिव को अवाइड करो।