मीठे बच्चे - विश्व का मालिक बनाने वाले बाप को बड़ी रूचि से याद करो,
प्रश्न:- किस एक बात पर पूरा ध्यान हो तो बुद्धि के कपाट खुल जायेंगे?
उत्तर:- पढ़ाई पर। भगवान् पढ़ाते हैं इसलिये कभी भी पढ़ाई मिस नहीं होनी
धारणा के लिये मुख्य सार:-
1) जब तक जीना है, अमृत पीना है, शिक्षाओं को धारण करना है। भगवान् पढ़ाते हैं,
2) पद्मों की कमाई जमा करने के लिए निमित्त मात्र घर में रहते, काम-काज करते
वरदान:- पवित्रता को आदि अनादि विशेष गुण के रूप में सहज अपनाने वाले पूज्य
पूज्यनीय बनने का विशेष आधार पवित्रता पर है। जितना सर्व प्रकार की पवित्रता को
स्लोगन:- व्यक्त में रहते अव्यक्त फरिश्ता बनकर सेवा करो तो विश्व कल्याण का
याद से ही तुम सतोप्रधान बनेंगे''
प्रश्न:- किस एक बात पर पूरा ध्यान हो तो बुद्धि के कपाट खुल जायेंगे?
उत्तर:- पढ़ाई पर। भगवान् पढ़ाते हैं इसलिये कभी भी पढ़ाई मिस नहीं होनी
चाहिए। जहाँ तक जीना है, वहाँ तक अमृत पीना है। पढ़ाई में अटेन्शन देना है,
अबसेन्ट नहीं होना है। यहाँ-वहाँ से भी ढूँढकर मुरली जरूर पढ़नी है। मुरली
में रोज़ नई-नई प्वाइंट्स निकलती रहती हैं, जिससे तुम्हारे कपाट ही खुल जायेंगे।
धारणा के लिये मुख्य सार:-
1) जब तक जीना है, अमृत पीना है, शिक्षाओं को धारण करना है। भगवान् पढ़ाते हैं,
इसलिए एक दिन भी मुरली मिस नहीं करनी है।
2) पद्मों की कमाई जमा करने के लिए निमित्त मात्र घर में रहते, काम-काज करते
एक बाप की याद में रहना है।
वरदान:- पवित्रता को आदि अनादि विशेष गुण के रूप में सहज अपनाने वाले पूज्य
आत्मा भव
पूज्यनीय बनने का विशेष आधार पवित्रता पर है। जितना सर्व प्रकार की पवित्रता को
अपनाते हो उतना सर्व प्रकार से पूज्यनीय बनते हो। जो विधिपूर्वक आदि अनादि
विशेष गुण के रूप से पवित्रता को अपनाते हैं वही विधिपूर्वक पूजे जाते हैं। जो ज्ञानी
और अज्ञानी आत्माओं के सम्पर्क में आते पवित्र वृत्ति, दृष्टि, वायब्रेशन से यथार्थ
सम्पर्क-सम्बन्ध निभाते हैं, स्वप्न में भी जिनकी पवित्रता खण्डित नहीं होती है -
वही विधिपूवर्क पूज्य बनते हैं।
स्लोगन:- व्यक्त में रहते अव्यक्त फरिश्ता बनकर सेवा करो तो विश्व कल्याण का
कार्य तीव्रगति से सम्पन्न हो।