मीठे बच्चे - सदा इसी नशे में रहो कि हमारा पद्मापद्म भाग्य है, जो पतित-पावन बाप के हम
प्रश्न:- तुम बच्चों को किसी भी धर्म से घृणा वा नफ़रत नहीं हो सकती है - क्यों?
उत्तर:- क्योंकि तुम बीज और झाड़ को जानते हो। तुम्हें पता है यह मनुष्य सृष्टि रूपी बेहद
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) संगमयुग पर डायरेक्ट भगवान् से पढ़ाई पढ़कर, ज्ञानवान आस्तिक बनना और बनाना है।
2) बाप समान लवली बनना है। भगवान् हमारा श्रृंगार कर रहे हैं, इस खुशी में रहना है।
वरदान:- ब्राह्मण जीवन की प्रापर्टी और पर्सनालिटी का अनुभव करने और कराने वाली विशेष आत्मा भव
बापदादा सभी ब्राह्मण बच्चों को स्मृति दिलाते हैं कि ब्राह्मण बने - अहो भाग्य! लेकिन ब्राह्मण
स्लोगन:- लास्ट समय का सोचने के बजाए लास्ट स्थिति का सोचो।
बच्चे बने हैं, उनसे हमें बेहद सुख का वर्सा मिलता है``
प्रश्न:- तुम बच्चों को किसी भी धर्म से घृणा वा नफ़रत नहीं हो सकती है - क्यों?
उत्तर:- क्योंकि तुम बीज और झाड़ को जानते हो। तुम्हें पता है यह मनुष्य सृष्टि रूपी बेहद
का झाड़ हैइस में हर एक का अपना-अपना पार्ट है। नाटक में कभी भी एक्टर्स एक-दूसरे से
घृणा नहीं करेंगे। तुम जानते हो हमने इस नाटक में हीरो-हीरोइन का पार्ट बजाया। हमने
जो सुख देखे, वह और कोई देख नहीं सकता। तुम्हें अथाह खुशी है कि सारे विश्व पर राज्य
करने वाले हम हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) संगमयुग पर डायरेक्ट भगवान् से पढ़ाई पढ़कर, ज्ञानवान आस्तिक बनना और बनाना है।
कभी भी बाप वा पढ़ाई में संशय नहीं लाना है।
2) बाप समान लवली बनना है। भगवान् हमारा श्रृंगार कर रहे हैं, इस खुशी में रहना है।
किसी भी एक्टर से घृणा वा नफ़रत नहीं करनी है। हरेक का इस ड्रामा में एक्यूरेट पार्ट है।
वरदान:- ब्राह्मण जीवन की प्रापर्टी और पर्सनालिटी का अनुभव करने और कराने वाली विशेष आत्मा भव
बापदादा सभी ब्राह्मण बच्चों को स्मृति दिलाते हैं कि ब्राह्मण बने - अहो भाग्य! लेकिन ब्राह्मण
जीवन का वर्सा, प्रापर्टी सन्तुष्टता है और ब्राह्मण जीवन की पर्सनालिटी प्रसन्नता है। इस
अनुभव से कभी वंचित नहीं रहना। अधिकारी हो। जब दाता, वरदाता खुली दिल से प्राप्तियों
का खजाना दे रहे हैं तो उसे अनुभव में लाओ और औरों को भी अनुभवी बनाओ तब कहेंगे
विशेष आत्मा।
स्लोगन:- लास्ट समय का सोचने के बजाए लास्ट स्थिति का सोचो।