Monday, March 4, 2013

Murli [4-03-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बेहद ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को समझना है, जो पास्ट हुआ वही अब फिर प्रजेन्ट होना है, अभी संगमयुग प्रजेन्ट है फिर सतयुग आना है'' 
प्रश्न:- श्रीमत पर अपने आपको परफेक्ट बनाने की विधि कौन सी है? 
उत्तर:- अपने आपको परफेक्ट बनाने के लिए विचार सागर मंथन करो। अपने आपसे बातें करो। बाबा आप कितने मीठे हो, हम भी आप जैसा मीठा बनेंगे। हम भी आपके समान मास्टर ज्ञान सागर बन सबको ज्ञान देंगे। किसी को भी नाराज़ नहीं करेंगे। शान्ति हमारा स्वधर्म है, हम सदा शान्त रहेंगे। अशरीरी बनने का अभ्यास करेंगे। ऐसी-ऐसी स्वयं से बातें कर स्वयं को परफेक्ट बनाना है। 
गीत:- माता ओ माता, जीवन की दाता... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) श्रीमत पर हर कर्म श्रेष्ठ करना है। सबके डूबे हुए बेड़े को श्रीमत पर पार लगाना है। दु:खियों को सुख देना है। 
2) अन्दर स्वदर्शन चक्र फिराते रूद्र माला में नजदीक आने के लिए याद में रहना है। ज्ञान का मंथन करना है, अपने आपसे बातें जरूर करनी है। 
वरदान:- खुशी के खजाने से सम्पन्न बन सदा खुश रहने और खुशी का दान देने वाले महादानी भव 
संगमयुग पर बापदादा ने सबसे बड़ा खजाना खुशी का दिया है। रोज़ अमृतवेले खुशी की एक प्वाइन्ट सोचो और सारा दिन उसी खुशी में रहो। ऐसे खुशी में रहते दूसरों को भी खुशी का दान देते रहो, यही सबसे बड़े ते बड़ा महादान है क्योंकि दुनिया में अनेक साधन होते हुए भी अन्दर की सच्ची अविनाशी खुशी नहीं है, आपके पास खुशियों का भण्डार है तो दान देते रहो, यही सबसे बड़ी सौगात है। 
स्लोगन:- महान आत्माओं का परम कर्तव्य है - उपकार, दया और क्षमा।