मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - देही-अभिमानी हो रहना, यही बड़ी मंजिल है, देही-अभिमानी को ही ईश्वरीय सम्प्रदाय कहेंगे, उन्हें बाप और परमधाम के सिवाए कुछ भी सूझेगा नहीं''
प्रश्न:- किस एक बात की धारणा से भविष्य 21 जन्मों के लिए पूंजी जमा हो जाती है?
उत्तर:- श्रीमत पर अपने ऊपर तथा दूसरों पर उपकार करने से। उपकार वही कर सकता जो पूरा देही-अभिमानी बनें, जिसकी बुद्धि शुद्ध हो। देह-अभिमान में आने से अपकार हो जाता है और जमा हुई पूंजी खत्म हो जाती है। घाटा पड़ जाता है। क्रोध का भूत भी अपकार कराता है इसलिए अपना स्वभाव बहुत मीठा बनाना है।
गीत:- यह कौन आज आया....
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) कभी भी रावण की मत पर चल देह-अभिमान में आकर बाप का अपकार नहीं करना है, निंदा नहीं करानी है। श्रीमत पर अपना तथा सर्व का उपकार करना है।
2) क्रोध का भूत प्रवेश होने नहीं देना है। बहुत मीठा स्वभाव बनाना है। युक्ति से सेवा करनी है।
वरदान:- अमृतवेले के फाउण्डेशन द्वारा सारे दिन की दिनचर्या को ठीक रखने वाले सहज पुरुषार्थी भव
जैसे ट्रेन को पटरी पर खड़ा कर देते हैं तो आटोमेटिकली रास्ते पर चलती रहती है, ऐसे ही रोज़ अमृतवेले याद की लकीर पर खड़े हो जाओ। अमृतवेला ठीक है तो सारा दिन ठीक हो जायेगा। अमृतवेले का फाउण्डेशन पक्का है तो सारा दिन स्वत: सहयोग मिलता रहेगा और पुरुषार्थ भी सहज हो जायेगा। जो सदा बाप की याद और श्रीमत की लकीर के अन्दर रहने वाली ऐसी सच्ची सीतायें हैं उनके नस-नस में एक राम की स्मृति का आवाज रहता है।
स्लोगन:- बाबा की मदद को कैच करना है तो बुद्धि को एकाग्र कर लो।
प्रश्न:- किस एक बात की धारणा से भविष्य 21 जन्मों के लिए पूंजी जमा हो जाती है?
उत्तर:- श्रीमत पर अपने ऊपर तथा दूसरों पर उपकार करने से। उपकार वही कर सकता जो पूरा देही-अभिमानी बनें, जिसकी बुद्धि शुद्ध हो। देह-अभिमान में आने से अपकार हो जाता है और जमा हुई पूंजी खत्म हो जाती है। घाटा पड़ जाता है। क्रोध का भूत भी अपकार कराता है इसलिए अपना स्वभाव बहुत मीठा बनाना है।
गीत:- यह कौन आज आया....
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) कभी भी रावण की मत पर चल देह-अभिमान में आकर बाप का अपकार नहीं करना है, निंदा नहीं करानी है। श्रीमत पर अपना तथा सर्व का उपकार करना है।
2) क्रोध का भूत प्रवेश होने नहीं देना है। बहुत मीठा स्वभाव बनाना है। युक्ति से सेवा करनी है।
वरदान:- अमृतवेले के फाउण्डेशन द्वारा सारे दिन की दिनचर्या को ठीक रखने वाले सहज पुरुषार्थी भव
जैसे ट्रेन को पटरी पर खड़ा कर देते हैं तो आटोमेटिकली रास्ते पर चलती रहती है, ऐसे ही रोज़ अमृतवेले याद की लकीर पर खड़े हो जाओ। अमृतवेला ठीक है तो सारा दिन ठीक हो जायेगा। अमृतवेले का फाउण्डेशन पक्का है तो सारा दिन स्वत: सहयोग मिलता रहेगा और पुरुषार्थ भी सहज हो जायेगा। जो सदा बाप की याद और श्रीमत की लकीर के अन्दर रहने वाली ऐसी सच्ची सीतायें हैं उनके नस-नस में एक राम की स्मृति का आवाज रहता है।
स्लोगन:- बाबा की मदद को कैच करना है तो बुद्धि को एकाग्र कर लो।