Wednesday, March 13, 2013

Murli [13-03-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - याद में रहते-रहते यह कलियुगी रात पूरी हो जायेगी, तुम बाप के पास चले जायेंगे फिर आयेंगे दिन में, यह भी वन्डरफुल यात्रा है'' 
प्रश्न:- तुम बच्चों को स्वर्ग में जाने की इच्छा क्यों है? 
उत्तर:- क्योंकि तुम जानते हो जब हम स्वर्ग में जायें तब बाकी सब आत्माओं का कल्याण हो, सब अपने शान्तिधाम घर में जा सकें। तुम्हें कोई स्वर्ग में जाने का लोभ नहीं है। लेकिन तुम स्वर्ग की स्थापना कर रहे हो, इतनी मेहनत करते हो तो जरूर उस स्वर्ग के मालिक भी बनेंगे। बाकी तुम्हें कोई दूसरी इच्छा नहीं है। मनुष्यों को तो इच्छा रहती है - हमें भगवान का साक्षात्कार हो लेकिन वह तो तुम्हें स्वयं पढ़ा रहे हैं। 
गीत:- रात के राही.... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) बाप जो इतनी सर्विस करते हैं, हमें इतना ऊंच देवता बनाते हैं, ऐसे बाप से दिल का सच्चा लव रखना है। देवताओं समान सबको सुख देना है। 
2) एक बाप की सदा महिमा करनी है। अपनी बड़ाई नहीं दिखानी है। 
वरदान:- श्रेष्ठ कर्मधारी बन ऊंची तकदीर बनाने वाले पदमापदम भाग्यशाली भव 
जिसके जितने श्रेष्ठ कर्म हैं उसकी तकदीर की लकीर उतनी लम्बी और स्पष्ट है। तकदीर बनाने का साधन है ही श्रेष्ठ कर्म। तो श्रेष्ठ कर्मधारी बनो और पदमापदम भाग्यशाली की तकदीर प्राप्त करो। लेकिन श्रेष्ठ कर्म का आधार है श्रेष्ठ स्मृति। श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बाप की स्मृति में रहने से ही श्रेष्ठ कर्म होंगे इसलिए जितना चाहो उतना लम्बी भाग्य की लकीर खींच लो। इस एक जन्म में अनेक जन्मों की तकदीर बन सकती है। 
स्लोगन:- अपने सन्तुष्टता की पर्सनैलिटी द्वारा अनेकों को सन्तुष्ट करना ही सन्तुष्टमणि बनना है।