Friday, March 15, 2013

Murli [15-03-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सर्विस में कभी सुस्त नहीं बनना है, विचार सागर मंथन कर बाबा जो सुनाते हैं, उसे एक्ट में लाना है'' 
प्रश्न:- बाप किन बच्चों पर सदा ही राज़ी रहते हैं? 
उत्तर:- जो अपनी सर्विस आपेही करते हैं। बाप को फालो करते हैं, सपूत हैं। बाप के बताये हुए रास्ते पर चलते रहते हैं। ऐसे बच्चों पर बाप राज़ी रहता है। बाबा कहते बच्चे कभी भी अपने ऊपर अकृपा नहीं करो। अपने को सावधान करने के लिए अपनी एम आबजेक्ट का चित्र पाकेट में रखो और बार-बार देखते रहो तो बहुत खुशी रहेगी। राजाई के नशे में रह सकेंगे। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) अपना मिजाज (टैम्पर) बहुत स्वीट बनाना है। श्रीमत पर बाप समान प्यारा बन स्वयं को गुलगुल (फूल) बनाना है। 
2) अपने ऊपर आपेही कृपा करनी है। अपने को सावधान करने के लिए एम-आबजेक्ट को सामने रखना है। मित्र-सम्बन्धियों पर भी रहम करना है। 
वरदान:- हर कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाले समझदार ज्ञानी तू आत्मा भव 
समझदार ज्ञानी तू आत्मा वह है जो पहले सोचता है फिर करता है। जैसे बड़े आदमी पहले भोजन को चेक कराते हैं फिर खाते हैं। तो यह संकल्प बुद्धि का भोजन है इसे पहले चेक करो फिर कर्म में लाओ। संकल्प को चेक कर लेने से वाणी और कर्म स्वत: समर्थ हो जायेंगे। और जहाँ समर्थ है वहाँ कमाई है। तो समर्थ बन हर कदम अर्थात् संकल्प, बोल और कर्म में पदमों की कमाई जमा करो, यही ज्ञानी तू आत्मा का लक्षण है। 
स्लोगन:- बाप और सर्व की दुआओं के विमान में उड़ने वाले ही उड़ता योगी हैं।