Tuesday, March 26, 2013

Murli [26-03-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम रूहानी सोशल वर्कर हो, तुम्हें इस दुनिया को सुख-शान्ति और पवित्रता से सम्पन्न बनाने के लिए अपना तन-मन-धन सफल करना है'' 
प्रश्न:- माया पर जीत पाने के लिए तुम बच्चों के पास कौन सा हथियार है? उस हथियार को यूज़ करने की विधि क्या है? 
उत्तर:- माया पर जीत पाने के लिए तुम्हारे पास ''स्वदर्शन चक्र'' है। यह कोई स्थूल हथियार नहीं है, लेकिन मन से मनमनाभव हो जाओ। हम सो, सो हम के मन्त्र को याद करो, तो इस विधि से माया का गला कट जायेगा। तुम मायाजीत बन चक्रवर्ती राजा बन जायेंगे। 
गीत:- इस पाप की दुनिया से कहीं और ले चल... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) आज्ञाकारी, वफ़ादार और सपूत बन बाप से पूरा वर्सा लेना है। श्रीमत पर श्रेष्ठ कर्म कर सच्ची कमाई करनी है। 
2) सम्पूर्ण निर्विकारी बन सच्चा ब्राह्मण बनना है। पावन बन स्वयं को पावन दुनिया के लायक बनाना है। 
वरदान:- बाप के राइट हैण्ड बन हर कार्य में सदा एवररेडी रहने वाले मास्टर भाग्य विधाता भव 
जो बच्चे राइट हैण्ड बन बाप के हर कार्य में सदा सहयोगी, सदा एवररेडी रहते हैं, आज्ञाकारी बन सदा कहते हाँ बाबा हम तैयार हैं। बाप भी ऐसे सहयोगी बच्चों को सदा मुरब्बी बच्चे, सपूत बच्चे, विश्व के श्रृंगार बच्चे कह मास्टर वरदाता और भाग्य विधाता का वरदान दे देते हैं। ऐसे बच्चे प्रवृत्ति में रहते भी प्रवृत्ति की वृत्ति से परे रहते हैं, व्यवहार में रहते अलौकिक व्यवहार का सदा ध्यान रखते हैं। 
स्लोगन:- हर बोल और कर्म में सच्चाई सफाई हो तो प्रभू के प्रिय रत्न बन जायेंगे।