मीठे बच्चे - तुम अभी बिल्कुल शडपंथ (किनारे) पर खड़े हो, तुम्हें अब इस पार से उस पार जाना है, घर जाने की तैयारी करनी है''
प्रश्न:- कौन-सी एक बात याद रखो तो अवस्था अचल-अडोल बन जायेगी?
उत्तरः- पास्ट इज़ पास्ट। बीती का चिंतन नहीं करना है, आगे बढ़ते जाना है। सदा एक की तरफ देखते रहो तो अवस्था अचल-अडोल हो जायेगी। तुमने अब कलियुग की हद छोड़ दी, फिर पिछाड़ी की ओर क्यों देखते हो? उसमें बुद्धि ज़रा भी न जाए - यही है सूक्ष्म पढ़ाई।
धारणा के लिए मुख्य सारः-
1) पीछे मुड़कर नहीं देखना है। किसी भी बात में ठहर नहीं जाना है। एक बाप की तरफ देखते हुए अपनी अवस्था एकरस रखनी है।
2) बुद्धि में याद रखना है कि अभी हम किनारे पर खड़े हैं। घर जाना है, गफ़लत छोड़ देनी है। अपनी अवस्था जमाने की गुप्त मेहनत करनी है।
वरदानः- चैलेन्ज और प्रैक्टिकल की समानता द्वारा स्वयं को पापों से सेफ रखने वाले विश्च सेवाधारी भव
आप बच्चे जो चैलेन्ज करते हो उस चैलेन्ज और प्रैक्टिकल जीवन में समानता हो, नहीं तो पुण्य आत्मा के बजाए बोझ वाली आत्मा बन जायेंगे। इस पाप और पुण्य की गति को जानकर स्वयं को सेफ रखो क्योंकि संकल्प में भी किसी भी विकार की कमजोरी, व्यर्थ बोल, व्यर्थ भावना, घृणा वा ईर्ष्या की भावना पाप के खाते को बढ़ाती है इसलिए पुण्य आत्मा भव के वरदान द्वारा स्वयं को सेफ रख विश्च सेवाधारी बनो। संगठित रूप में एकमत, एकव्रस स्थिति का अनुभव कराओ।
स्लोगनः- पवित्रता की शमा चारों ओर जलाओ तो बाप को सहज देख सकेंगे।
प्रश्न:- कौन-सी एक बात याद रखो तो अवस्था अचल-अडोल बन जायेगी?
उत्तरः- पास्ट इज़ पास्ट। बीती का चिंतन नहीं करना है, आगे बढ़ते जाना है। सदा एक की तरफ देखते रहो तो अवस्था अचल-अडोल हो जायेगी। तुमने अब कलियुग की हद छोड़ दी, फिर पिछाड़ी की ओर क्यों देखते हो? उसमें बुद्धि ज़रा भी न जाए - यही है सूक्ष्म पढ़ाई।
धारणा के लिए मुख्य सारः-
1) पीछे मुड़कर नहीं देखना है। किसी भी बात में ठहर नहीं जाना है। एक बाप की तरफ देखते हुए अपनी अवस्था एकरस रखनी है।
2) बुद्धि में याद रखना है कि अभी हम किनारे पर खड़े हैं। घर जाना है, गफ़लत छोड़ देनी है। अपनी अवस्था जमाने की गुप्त मेहनत करनी है।
वरदानः- चैलेन्ज और प्रैक्टिकल की समानता द्वारा स्वयं को पापों से सेफ रखने वाले विश्च सेवाधारी भव
आप बच्चे जो चैलेन्ज करते हो उस चैलेन्ज और प्रैक्टिकल जीवन में समानता हो, नहीं तो पुण्य आत्मा के बजाए बोझ वाली आत्मा बन जायेंगे। इस पाप और पुण्य की गति को जानकर स्वयं को सेफ रखो क्योंकि संकल्प में भी किसी भी विकार की कमजोरी, व्यर्थ बोल, व्यर्थ भावना, घृणा वा ईर्ष्या की भावना पाप के खाते को बढ़ाती है इसलिए पुण्य आत्मा भव के वरदान द्वारा स्वयं को सेफ रख विश्च सेवाधारी बनो। संगठित रूप में एकमत, एकव्रस स्थिति का अनुभव कराओ।
स्लोगनः- पवित्रता की शमा चारों ओर जलाओ तो बाप को सहज देख सकेंगे।