मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप के बने हो तो फर्स्ट नम्बर लेने का पुरुषार्थ करो, मम्मा-बाबा को फालो करने से,
पढ़ाई पर ध्यान देने से नम्बर फर्स्ट आ जायेंगे''
प्रश्न:- मनमत पर किये हुए कर्मों की रिजल्ट और श्रीमत पर किये हुए कर्मों की रिजल्ट में अन्तर क्या है?
उत्तर:- जो अपनी मत पर कर्म करते हैं, उन्हें आगे चलकर कर्म कूटने पड़ते, दु:खी होते रहते हैं। मनमत
अर्थात् माया की मत से कोई देवाला मार देते, कोई बीमार पड़ जाते, कोई की अकाले मृत्यु हो जाती..
यह सब है कर्म कूटना। श्रीमत पर तुम बच्चे ऐसे श्रेष्ठ कर्म करते हो जो आधाकल्प कोई भी कर्म कूटना नहीं पड़ेगा।
गीत:- तुम्हें पाके हमने जहान पा लिया है.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस विनाश काल में एक बाप से सच्ची प्रीत रखनी है। सदा इसी नशे में रहना है कि हम
राजयोग सीख भविष्य प्रिन्स प्रिन्सेज बनेंगे।
2) योगबल से सारे विश्व को पावन बनाने की सेवा करनी है। इस नम्बरवन जन्म से कभी भी तंग नहीं होना है।
वरदान:- सर्व संबंध एक बाप से जोड़कर माया को विदाई देने वाले सहजयोगी भव
जहाँ संबंध होता है वहाँ याद स्वत: सहज हो जाती है। सर्व संबंधी एक बाप को बनाना ही
सहजयोगी बनना है। सहजयोगी बनने से माया को सहज विदाई मिल जाती है। जब माया
विदाई ले लेती है तब बाप की बंधाईयां बहुत आगे बढ़ाती हैं। जो हर कदम में परमात्म दुआयें,
ब्राह्मण परिवार की दुआयें प्राप्त करते रहते हैं वह सहज उड़ते रहते हैं।
स्लोगन:- सदा बिजी रहने वाले बिजनेस मैन बनो तो कदम-कदम में पदमों की कमाई है।