Wednesday, March 27, 2013

Murli [27-03-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - यह वन्डरफुल पाठशाला है जहाँ तुम्हें ज्ञान सागर पतित-पावन बाप ज्ञान अमृत पिलाकर पावन बनाते हैं, ऐसी पाठशाला और कोई होती नहीं'' 
प्रश्न:- बाप की कौन सी एक राय स्वीकार करो तो बाप हर पल तुम्हारा मददगार है? 
उत्तर:- बाबा राय देते बच्चे तुम जिन्न के मुआफ़िक मुझे याद करते रहो। खाते-पीते, चलते बुद्धियोग मेरे में लगाओ और सब तरफ से बुद्धि हटाते जाओ। तुम बाप और स्वर्ग को याद करने की सेवा करो, यही तुम्हारी मदद है। यह याद ही तुम्हें स्वर्ग का मालिक बनायेगी। यही सस्ता सौदा है। हिम्मत रखो तो बाबा हर पल तुम्हारा मददगार है। हिम्मते मर्दा मददे खुदा। 
गीत:- मुझको सहारा देने वाले..... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) श्रीमत पर भारत को हीरे जैसा बनाने की रूहानी सेवा करनी है। गुप्त रीति से बाप को याद कर श्रेष्ठ बनना है। 
2) अपने आपसे बातें करनी है, रूहरिहान करना है बाबा आपने जो सुख दिया है वह कोई दे नहीं सकता। बाबा आपकी पढ़ाई से हम विश्व का मालिक बनते हैं। आप नई सृष्टि रचते हो उसके हम हकदार हैं। 
वरदान:- एक के पाठ द्वारा निराकार, आकार को साकार में अनुभव करने वाले वरदानी मूर्त भव 
सिर्फ एक का पाठ पक्का करके वरदाता को राज़ी कर लो तो अमृतवेले से रात तक हर दिनचर्या के कर्म में वरदानों से ही पलते, चलते, उड़ते रहेंगे। वह एक का पाठ है - एक बल एक भरोसा, एकमत, एकरस, एकता और एकान्तप्रिय ...यह ''एक'' शब्द ही बाप को प्रिय है। जो इस एक का पाठ पक्का कर लेते हैं उन्हें कभी मुश्किल का अनुभव नहीं होता। ऐसी वरदानी आत्मा को विशेष वरदान प्राप्त होता है इसलिए वे निराकार-आकार को जैसे साकार अनुभव करते हैं। 
स्लोगन:- किसी से किनारा करके अपनी अवस्था बनाने के बजाए सर्व का सहारा बनो।