Wednesday, March 6, 2013

Murli [6-03-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप तुम्हें नई दुनिया के लिए नया ज्ञान देते हैं, जिससे सूर्यवंशी घराना स्थापन होता है, उस घराने के तुम अभी मालिक बन रहे हो'' 
प्रश्न:- किस बात का निश्चय पक्का हो तो वर्से के अधिकारी सहज बन सकते हैं? 
उत्तर:- पहले-पहले यह निश्चय हो जाए कि बेहद का वही बाबा स्वर्ग बनाने आया है, धन्धाधोरी करते यह याद रहे कि हम उस बाबा के बच्चे हैं, हम स्वर्ग के मालिक बनेंगे तो अपार खुशी रहेगी और सहज ही वर्से के अधिकारी बन जायेंगे। पक्के निश्चय वाले को अपार खुशी का पारा चढ़ा रहता है। अगर खुशी नहीं होती तो समझना चाहिए कि मुझे पाई-पैसे का भी निश्चय नहीं है। 
गीत:- जिस दिन से मिले तुम हम ..... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) बाप के गले का हार बनने के लिए बुद्धि की दौड़ लगानी है। याद की यात्रा में रेस करनी है। 
2) शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते स्वदर्शन चक्र फिराना है। कभी भी सतगुरू का निंदक नहीं बनना है। नाम बदनाम करने वाला कर्म नहीं करना है। 
वरदान:- मास्टर ज्ञान सूर्य बन सारे विश्व को सर्व शक्तियों की किरणें देने वाले विश्व कल्याणकारी भव 
जैसे सूर्य अपनी किरणों द्वारा विश्व को रोशन करता है ऐसे आप सभी भी मास्टर ज्ञान सूर्य हो तो अपने सर्व शक्तियों की किरणें विश्व को देते रहो। यह ब्राह्मण जन्म मिला ही है विश्व कल्याण के लिए तो सदा इसी कर्तव्य में बिजी रहो। जो बिजी रहते हैं वो स्वयं भी निर्विघ्न रहते और सर्व के प्रति भी विघ्न-विनाशक बनते। उनके पास कोई भी विघ्न आ नहीं सकता। 
स्लोगन:- जिम्मेवारी सम्भालते हुए सब कुछ बाप को अर्पण कर डबल लाइट रहना ही फरिश्ता बनना है।