Tuesday, December 30, 2014

Murli-31/12/2014-Hindi

✿ 31~ December ~ 2014 Sakar Hindi Murli ✿ ☆ God's Shivßaßa Word For Today ☆       प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन   “मीठे बच्चे - हद के संसार की वाह्यात बातों में अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है, बुद्धि में सदा रॉयल ख्यालात चलते रहें ”    प्रश्न:-    कौन-से बच्चे बाप के हर डायरेक्शन को अमल में ला सकते हैं? उत्तर:- जो अन्तर्मुखी हैं, अपना शो नहीं है, रूहानी नशे में रहते हैं, वही बाप के हर डायरेक्शन को अमल में ला सकते हैं । तुम्हें मिथ्या अहंकार कभी नहीं आना चाहिए । अन्दर की बड़ी सफाई हो । आत्मा बहुत अच्छी हो, एक बाप से सच्चा लव हो । कभी लूनपानी अर्थात् खारेपन का संस्कार न हो, तब बाप का हर डायरेक्शन अमल में आयेगा ।   ओम् शान्ति | बच्चे सिर्फ याद की यात्रा में ही नहीं बैठे हैं । बच्चों को यह फ़खुर है कि हम श्रीमत पर अपना परिस्तान स्थापन कर रहे हैं । इतना उमंग, खुशी रहनी चाहिए । कीचड़पट्टी आदि की सब वाह्यात बातें निकल जानी चाहिए । बेहद के बाप को देखते ही हुल्लास में आना चाहिए । जितना-जितना तुम याद की यात्रा में रहेंगे उतना इम्प्रूवमेंट आती जायेगी । बाप कहते हैं बच्चों के लिए रूहानी युनिवर्सिटी होनी चाहिए । तुम्हारी है ही वर्ल्ड स्प्रीचुअल युनिवर्सिटी । तो वह युनिवर्सिटी कहाँ हैं? युनिवर्सिटी खास स्थापन की जाती है । उसके साथ बड़ी रॉयल हॉस्टल चाहिए । तुम्हारे कितने रॉयल ख्यालात होने चाहिए । बाप को तो रात-दिन यही ख्यालात रहते हैं-कैसे बच्चों को पढ़ाकर ऊँच इम्तहान में पास कराये? जिससे फिर यह विश्व के मालिक बनने वाले हैं । असुल में तुम्हारी आत्मा शुद्ध सतोप्रधान थी तो शरीर भी कितना सतोप्रधान सुन्दर था । राजाई भी कितनी ऊँच थी । तुम्हारा हद के संसार की किचड़पट्टी की बातों में टाइम बहुत वेस्ट होता है । तुम स्टूडेंट के अन्दर किचड़पट्टी के ख्यालात नहीं होने चाहिए । कमेटियाँ आदि तो बहुत अच्छी- अच्छी बनाते हैं । परन्तु योगबल है नहीं । गपोड़ा बहुत मारते हैं-हम यह करेंगे, यह करेंगे । माया भी कहती है हम इनको नाक-कान से पकड़ेंगे । बाप के साथ लव ही नहीं है । कहा जाता है ना - नर चाहत कुछ और.... तो माया भी कुछ करने नहीं देती है । माया बहुत ठगने वाली है, कान ही काट लेती है । बाप कितना बच्चों को ऊंच बनाते हैं, डायरेक्शन देते हैं - यह-यह करो । बाबा बड़ी रॉयल-रॉयल बच्चियाँ भेज देते हैं । कोई-कोई कहते हैं बाबा हम ट्रेनिंग लिए जावे? तो बाबा कहते हैं बच्चे, पहले तुम अपनी कमियों को तो निकालो । अपने को देखो हमारे में कितने अवगुण हैं? अच्छे- अच्छे महारथियों को भी माया एकदम लून-पानी कर देती है । ऐसे खारे बच्चे हैं जो बाप को कभी याद भी नहीं करते हैं । ज्ञान का ' ग ' भी नहीं जानते । बाहर का शो बहुत है । इसमें तो बड़ा अन्तर्मुख रहना चाहिए, परन्तु कइयों की तो ऐसी चलन होती है जैसे अनपढ़ जट लोग होते हैं, थोड़े-से पैसे हैं तो उसका नशा चढ़ जाता है । यह नहीं समझते कि अरे, हम तो कंगाल हैं । माया समझने नहीं देती है । माया बड़ी जबरदस्त है । बाबा थोड़ी महिमा करते हैं तो उसमें बड़ा खुश हो जाते हैं । बाबा को रात-दिन यही ख्यालात चलती है कि युनिवर्सिटी बड़ी फर्स्टक्लास होनी चाहिए, जहाँ बच्चे अच्छी रीति पढ़े । तुम जानते हो हम स्वर्ग में जाते हैं तो खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए ना । यहॉ बाबा किस्म-किस्म का डोज़ देते हैं, नशा चढ़ाते हैं । कोई देवाला निकाला हुआ हो, उनको शराब पिला दो तो समझेंगे हम बादशाह हैं । फिर नशा पूरा होने से वैसे का वैसा बन जाते हैं । अब यह तो है रूहानी नशा । तुम जानते हो बेहद का बाप टीचर बन हमको पढ़ाते हैं और डायरेक्शन देते हैं-ऐसे-ऐसे करो । कोई-कोई समय में किसको मिथ्या अहंकार भी आ जाता है । माया है ना । ऐसी-ऐसी बातें बनाते हैं जो बात मत पूछो । बाबा समझते हैं यह चल नहीं सकेंगे । अन्दर की बड़ी सफाई चाहिए । आत्मा बहुत अच्छी चाहिए । तुम्हारी लव मैरेज हुई है ना । लव मैरेज में कितना प्यार होता है, यह तो पतियों का पति हैं । सो भी कितनों की लव मैरेज होती है । एक की थोड़ेही होती है । सब कहते हैं हमारी तो शिवबाबा के साथ सगाई हो गई । हम तो स्वर्ग में जाकर बैठेंगे । खुशी की बात है ना । अन्दर में आना चाहिए ना बाबा हमको कितना श्रृंगार करते हैं । शिवबाबा श्रृंगार करते हैं इन द्वारा । तुम्हारी बुद्धि में है कि हम बाप को याद करते-करते सतोप्रधान बन जायेंगे । इस नॉलेज को और कोई जानता ही नहीं । इसमें बड़ा नशा रहता है । अभी अजुन इतना नशा चढ़ता नहीं है । होना है जरूर । गायन भी है अतीन्द्रिय सुख गोप-गोपियों से पूछो । अभी तुम्हारी आत्मायें कितनी छी-छी है । जैसे बहुत छी-छी कीचड़े में बैठी है । उन्हों को बाप आकर चेंज करते हैं, रिज्युवनेट करते हैं । मनुष्य ग्लान्स चेंज कराते हैं तो कितनी खुशी होती है । तुमको तो अब बाप मिला तो बेड़ा ही पार है । समझते हो हम बेहद के बाप के बने हैं तो अपने को कितना जल्दी सुधारना चाहिए । रात-दिन यही खुशी, यही चिन्तन रहे-तुमको मार्शल देखो कौन मिला हुआ है! रात-दिन इसी ख्यालात में रहना होता है । जो-जो अच्छी रीति समझते हैं, पहचानते हैं, वह तो जैसे उड़ने लग पड़ते हैं । तुम बच्चे अभी संगम पर हो । बाकी वह सभी तो गंद में पड़े हैं । जैसे कीचड़े के किनारे झोपड़ियों लगाकर गंद में बैठे रहते हैं ना । कितनी झुग्गियाँ बनी हुई रहती है । यह फिर है बेहद की बात । अभी उनसे निकलने की शिवबाबा तुमको बहुत सहज युक्ति बतलाते हैं । मीठे-मीठे बच्चों तुम जानते हो ना इस समय तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों ही पतित हैं । अभी तुम निकल आये हो । जो-जो निकलकर आये हैं उनमें ज्ञान की पराकाष्ठा है ना । तुमको बाप मिला तो फिर क्या! यह नशा जब चढ़े तब तुम किसको समझा सको । बाप आया हुआ है । बाप हमारी आत्मा को पवित्र बना देते हैं । आत्मा पवित्र बनने से फिर शरीर भी फर्स्टक्लास मिलता है । अभी तुम्हारी आत्मा कहाँ बैठी है? इस झुग्गी (शरीर) में बैठी हुई है । तमोप्रधान दुनिया है ना । कीचड़े के किनारे पर आकर बैठे हैं ना । विचार करो हम कहाँ से निकले हैं । बाप ने गन्दे नाले से निकाला है । अब हमारी आत्मा स्वच्छ बन जायेगी । रहने वाले भी फर्स्टक्लास महल बनायेंगे । हमारी आत्मा को बाप श्रृंगार कर स्वर्ग में ले जा रहे हैं । अन्दर में ऐसे-ऐसे ख्यालात बच्चों को आने चाहिए । बाप कितना नशा चढ़ाते हैं । तुम इतना ऊँच थे फिर गिरते- गिरते आकर नीचे पड़े हो । शिवालय में थे तो आत्मा कितनी शुद्ध थी । तो फिर आपस में मिलकर जल्दी-जल्दी शिवालय में जाने का उपाय करना चाहिए । बाबा को तो वन्डर लगता है - बच्चों को वह दिमाग नहीं! बाबा हमको कहाँ से निकालते हैं! पाण्डव गवर्मेन्ट स्थापन करने वाला बाप है । भारत जो हेविन था सो अब हेल है । आत्मा की बात है । आत्मा पर ही तरस पड़ता है । एकदम तमोप्रधान दुनिया में आकर आत्मा बैठी है इसलिए बाप को याद करती है-बाबा, हमको वहाँ ले जाओ । यहाँ बैठे भी तुमको यह ख्यालात चलाने चाहिए इसलिए बाबा कहते हैं बच्चों के लिए फर्स्टक्लास युनिवर्सिटी बनाओ । कल्प-कल्प बनती है । तुम्हारे ख्यालात बड़े आलीशान होने चाहिए । अभी वह नशा नहीं चढ़ा हुआ है । नशा हो तो पता नहीं क्या करके दिखायें । बच्चे युनिवर्सिटी का अर्थ नहीं समझते हैं । उस रॉयल्टी के नशे में नहीं रहते हैं । माया दबाकर बैठी है । बाबा समझाते हैं बच्चे अपना उल्टा नशा मत चढ़ाओ । हरेक अपनी- अपनी क्वालिफिकेशन देखो । हम कैसे पढ़ते हैं, क्या मदद करते हैं, सिर्फ बातों का पकौड़ा नहीं खाना है । जो कहते हो वह करना है । गपोड़े नहीं कि यह करेंगे, यह करेंगे । आज कहते हैं यह करेंगे, कल मौत आया खत्म हो जायेंगे । सतयुग में तो ऐसे नहीं कहेंगे । वहाँ कभी अकाले मृत्यु होता नहीं । काल आ नहीं सकता । वह है ही सुखधाम । सुखधाम में काल के आने का हुक्म नहीं । रावण राज्य और रामराज्य के भी अर्थ को समझना है । अभी तुम्हारी लड़ाई है ही रावण से । देह- अभिमान भी कमाल करता है, जो बिल्कुल पतित बना देता है । देही- अभिमानी होने से आत्मा शुद्ध बन जाती है । तुम समझते हो ना वहाँ हमारे कैसे महल बनेंगे । अभी तुम तो संगम पर आ गये हो । नम्बरवार सुधर रहे हो, लायक बन रहे हो । तुम्हारी आत्मा पतित होने के कारण शरीर भी पतित मिले हैं । अभी मैं आया हूँ तुमको स्वर्गवासी बनाने । याद के साथ दैवीगुण भी चाहिए । मासी का घर थोड़ेही है । समझते हैं कि बाबा आया है हमको नर से नारायण बनाने परन्तु माया का बड़ा गुप्त मुकाबला है । तुम्हारी लड़ाई है ही गुप्त इसलिए तुमको अननोन-वारियर्स कहा गया है । अननोन वारियर और कोई होता ही नहीं । तुम्हारा ही नाम है वारियर्स । और तो सबके नाम रजिस्टर में है ही । तुम अननोन वारियर्स की निशानी उन्होंने पकड़ी है । तुम कितने गुप्त हो, किसको पता नहीं । तुम विश्व पर विजय पा रहे हो माया को वश करने के लिए । तुम बाप को याद करते हो फिर भी माया भुला देती है । कल्प-कल्प तुम अपना राज्य स्थापन कर लेते हो । तो अननोन वारियर्स तुम हो जो सिर्फ बाप को याद करते हो । इसमें हाथ-पांव कुछ नहीं चलाते हो । याद के लिए युक्तियाँ भी बाबा बहुत बतलाते हैं । चलते-फिरते तुम याद की यात्रा करो, पढ़ाई भी करो । अभी तुम समझते हो हम क्या थे, क्या बन गये हैं । अब फिर बाबा हमको क्या बनाते हैं । कितना सहज युक्ति बतलाते हैं । कहाँ भी रहते याद करो तो जक उतर जाये । कल्प-कल्प यह युक्ति देते रहते हैं । अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो सतोप्रधान बनेंगे, और कोई भी बंधन नहीं । बाथरूम में जाओ तो भी अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो आत्मा का मैल उतर जाये । आत्मा को कोई तिलक नहीं लगाना होता है, यह सब तो भक्ति मार्ग की निशानी है । इस ज्ञान मार्ग में कोई दरकार नहीं है, पाई का खर्चा नहीं । घर बैठे याद करते रहो । कितना सहज है । वह बाबा हमारा बाप भी है, टीचर और गुरू भी है । पहले बाप की याद फिर टीचर की फिर गुरू की, कायदा ऐसे कहता है । टीचर को तो जरूर याद करेंगे, उनसे पढ़ाई का वर्सा मिलता है फिर वानप्रस्थ अवस्था में गुरू मिलता है । यह बाप तो सब होलसेल में दे देते हैं । तुमको 21 जन्म के लिए राजाई होलसेल में दे देते हैं । शादी में कन्या को दहेज गुप्त देते हैं ना । शो करने की दरकार नहीं । कहा जाता है गुप्त दान । शिवबाबा भी गुप्त है ना, इसमें अहंकार की कोई बात नहीं । कोई-कोई को अहंकार रहता है कि सब देखे । यह है सब गुप्त । बाप तुमको विश्व की बादशाही दहेज में देते हैं । कितना गुप्त तुम्हारा श्रृंगार हो रहा है । कितना बड़ा दहेज मिलता है । बाप कैसे युक्ति से देते हैं, किसको पता नहीं पड़ता । यहाँ तुम बेगर हो, दूसरे जन्म में गोल्डन सून इन माउथ होगा । तुम गोल्डन दुनिया में जाते हो ना । वहाँ सब कुछ सोने का होगा । साहूकारों के महली में अच्छी जड़ित होगी । फर्क तो जरूर रहेगा । यह भी अभी तुम समझते हो-माया सबको उल्टा लटका देती हैं । अब बाप आया हैं तो बच्चों में कितना हौसला होना चाहिए । परन्तु माया भुला देती हैं-बाप का डायरेक्शन हैं या ब्रह्मा का? भाई का हैं या बाप का? इसी में बहुत मूँझते हैं । बाप कहते हैं अच्छा वा बुरा हो-तुम बाप का डायरेक्शन ही समझो । उन पर चलना पड़े । इनकी कोई भूल भी हो जायेगी तो अभुल करा देंगे । उनमें ताकत तो है ना । तुम देखते हो यह कैसे चलते हैं, इनके सिर पर कौन बैठे हैं । एकदम बाजू में बैठे हैं । गुरू लोग बाजू में बिठाकर सिखलाते हैं ना । तो भी मेहनत इनको करनी होती है । तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने में पुरूषार्थ करना पड़ता है । बाप कहते हैं मुझे याद कर भोजन बनाओ । शिवबाबा की याद का भोजन और किसको मिल न सके । अभी के भोजन का ही गायन है । वह ब्राह्मण लोग भल स्तुति गाते हैं परन्तु अर्थ कुछ नहीं समझते । जो महिमा करते हैं, समझते कुछ नहीं । इतना समझा जाता है कि यह रिलीजस माइन्डेड हैं क्योंकि पुजारी हैं । वहाँ तो रिलीजस माइन्डेड की बात ही नहीं, वहाँ भक्ति होती नहीं । यह भी किसको पता नहीं है- भक्ति क्या चीज़ होती है । कहते थे ज्ञान, भक्ति, वैराग्य । कितने फर्स्ट क्लास अक्षर हैं । ज्ञान दिन, भक्ति रात । फिर रात से वैराग्य तो दिन में जाते हैं । कितना क्लीयर है । अभी तुम समझ गये हो तो तुमको धक्का नहीं खाना पड़ता है । बाप कहते हैं मुझे याद करो, मैं तुमको विश्व का मालिक बनाता हूँ । मैं तुम्हारा बेहद का बाप हूँ, सृष्टि का चक्र जानना भी कितना सहज है । बीज और झाड़ को याद करो । अभी कलियुग का अन्त है फिर सतयुग आना है । अभी तुम संगमयुग पर गुल-गुल बनते हो । आत्मा सतोप्रधान बन जायेगी तो फिर रहने का भी सतोप्रधान महल मिलेगा । दुनिया ही नई बन जाती हैं | तो बच्चों को कितनी खुशी रहनी चाहिए । अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।   धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. सदा फखुर (नशा) रहे कि हम श्रीमत पर अपना परिस्तान स्थापन कर रहे हैं । वाहयात कीचड़पट्टी की बातों को छोड़ बड़े हुल्लास में रहना है ।  2. अपने ख्यालात बड़े आलीशान रखने हैं । बहुत अच्छी रॉयल युनिवर्सिटी और हॉस्टल खोलने का प्रबन्ध करना है । बाप का गुप्त मददगार बनना है, अपना शो नहीं करना है ।   वरदान:- पवित्रता की श्रेष्ठ धारणा द्वारा एक धर्म के संस्कार वाले समर्थ सम्राट भव !    आपके स्वराज्य का धर्म अर्थात् धारणा है ''पवित्रता” । एक धर्म अर्थात् एक धारणा । स्वप्न वा संकल्प मात्र भी अपवित्रता अर्थात् दूसरा धर्म न हो क्योंकि जहाँ पवित्रता है वहाँ अपवित्रता अर्थात् व्यर्थ संकल्प वा विकल्प का नाम-निशान नहीं होगा । ऐसे सम्पूर्ण पवित्रता के संस्कार भरने वाले ही समर्थ सम्राट हैं । अभी के श्रेष्ठ संस्कारों के आधार से भविष्य संसार बनता है । अभी के संस्कार भविष्य संसार का फाउण्डेशन है ।   स्लोगन:-  विजयी रत्न वही बनते हैं जिनकी सच्ची प्रीत एक परमात्मा से है ।      * * * ओम् शान्ति * * *