Tuesday, December 16, 2014

Murli-17/12/2014-Hindi

17-12-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे - यह पुरूषोत्तम संगमयुग ट्रांसफर होने का युग है, अभी तुम्हें कनिष्ट से उत्तम पुरूष बनना है” प्रश्न:- बाप के साथ-साथ किन बच्चों की भी महिमा गाई जाती है? उत्तर:- जो टीचर बन बहुतों का कल्याण करने के निमित्त बनते हैं, उनकी महिमा भी बाप के साथ-साथ गाई जाती है । करन-करावनहार बाबा बच्चों से अनेकों का कल्याण कराते हैं तो बच्चों की भी महिमा हो जाती है । कहते हैं-बाबा,फलाने ने हमारे पर दया की, जो हम क्या से क्या बन गये! टीचर बनने बिगर आशीर्वाद मिल नहीं सकती । ओम् शान्ति | अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. सदा इसी स्मृति में रहना है कि हम आत्मा मेल हैं, हमें बाप से पूरा वर्सा लेना है । मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है । 2. सारी दुनिया में जो भी एक्ट चलती है, यह सब बना-बनाया ड्रामा है, इसमें पुरूषार्थ और प्रालब्ध दोनों की नूंध है । पुरूषार्थ के बिना प्रालब्ध नहीं मिल सकती, इस बात को अच्छी तरह समझना है । वरदान:- सन्तुष्टता के तीन सर्टीफिकेट ले अपने योगी जीवन का प्रभाव डालने वाले सहजयोगी भव ! सन्तुष्टता योगी जीवन का विशेष लक्ष्य है, जो सदा सन्तुष्ट रहते और सर्व को सन्तुष्ट करते हैं उनके योगी जीवन का प्रभाव दूसरों पर स्वत: पड़ता है । जैसे साइन्स के साधनों का वायुमण्डल पर प्रभाव पड़ता है, ऐसे सहजयोगी जीवन का भी प्रभाव होता है । योगी जीवन के तीन सर्टीफिकेट हैं एक - स्व से सन्तुष्ट, दूसरा - बाप सन्तुष्ट और तीसरा - लौकिक अलौकिक परिवार सन्तुष्ट । स्लोगन:- स्वराज्य का तिलक, विश्व कल्याण का ताज और स्थिति के तख्त पर विराजमान रहने वाले ही राजयोगी हैं । ओम् शान्ति