Monday, December 29, 2014

Murli-30/12/2014-Hindi

मुरली 30 दिसंबर 2014 “मीठे बच्चे - यह पावन बनने की पढ़ाई उन पढ़ाइयों से सहज है, इसे सच्चे, जवान, बूढ़े सब पढ़ सकते हैं, सिर्फ 84 जन्मों को जानना है |”  प्रश्न:-    हर एक छोटे वा बड़े को कौन-सी प्रैक्टिस जरूर करनी चाहिए ? उत्तर:- हर एक को मुरली चलाने की प्रैक्टिस जरूर करनी चाहिए क्योंकि तुम मुरलीधर के बच्चे हो । अगर मुरली नहीं चलाते हो तो ऊंच पद नहीं पा सकेंगे । किसी को सुनाते रहो तो मुख खुल जायेगा । तुम हर एक को बाप समान टीचर जरूर बनना है । जो पढ़ते हो वह पढ़ाना है । छोटे बच्चों को भी यह पढ़ाई पढ़ने का हक है । वह भी बेहद के बाप का वर्सा लेने के अधिकारी हैं। धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. ज्ञान सागर बाप जो रोज बेहद की पढ़ाई पढ़ाते हैं, उस पर विचार सागर मंथन करना है । जो पढ़ा है वह दूसरों को भी जरूर पढ़ाना है ।  2. यह बेहद का ड्रामा कैसे चल रहा है, यह अनादि बना-बनाया वन्डरफुल ड्रामा है, इस राज को अच्छी रीति समझकर फिर समझाना है ।  वरदान:- हद की रॉयल इच्छाओं से मुक्त रह सेवा करने वाले निःस्वार्थ सेवाधारी भव ! जैसे ब्रह्मा बाप ने कर्म के बन्धन से मुक्त, न्यारे बनने का सबूत दिया । सिवाए सेवा के स्नेह के और कोई बन्धन नहीं । सेवा में जो हद की रायॅल इच्छायें होती हैं वह भी हिसाब-किताब के बन्धन में बांधती हैं, सच्चे सेवाधारी इस हिसाब-किताब से भी मुक्त रहते हैं । जैसे देह का बन्धन, देह के सम्बन्ध का बंधन है, ऐसे सेवा में स्वार्थ - यह भी बंधन है । इस बन्धन से वा रॉयल हिसाब-किताब से भी मुक्त निःस्वार्थ सेवाधारी बनो ।  स्लोगन:-  वायदों को फाइल में नहीं रखो, फाइनल बनकर दिखाओ ।  ओम् शांति |