Thursday, December 11, 2014

Murli-11/12/2014-Hindi

11-12-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे - तुम अभी पढ़ाई पढ़ रहे हो, यह पढ़ाई है पतित से पावन बनने की, तुम्हें यह पढ़ना और पढ़ाना है |” प्रश्न:- दुनिया में कौन-सा ज्ञान होते हुए भी अज्ञान अन्धियारा है? उत्तर:- माया का ज्ञान, जिससे विनाश होता है । मून तक जाते हैं, यह ज्ञान बहुत है लेकिन नई दुनिया और पुरानी दुनिया का ज्ञान किसी के पास नहीं है । सब अज्ञान अन्धियारे में हैं, सभी ज्ञान नेत्र से अंधे हैं । तुम्हें अभी ज्ञान का तीसरा नेत्र मिलता है । तुम नॉलेजफुल बच्चे जानते हो उन्हों की ब्रेन में विनाश के ख्यालात हैं, तुम्हारी बुद्धि में स्थापना के ख्यालात हैं । ओम् शान्ति | अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. बाप इस दादा में प्रवेश हो हमें मनुष्य से देवता अर्थात् विकारी से निर्विकारी बनाने के लिए गीता का ज्ञान सुना रहे हैं, इसी निश्चय से रमण करना है । श्रीमत पर चलकर श्रेष्ठ गुणवान बनना है । 2. याद की यात्रा से बुद्धि को सोने का बर्तन बनाना है । ज्ञान बुद्धि में सदा बना रहे उसके लिए मुरली जरूर पढ़नी वा सुननी है । वरदान:- अपने मस्तक पर सदा बाप की दुआओं का हाथ अनुभव करने वाले मास्टर विघ्न-विनाशक भव ! गणेश को विघ्न-विनाशक कहते हैं । विघ्न-विनाशक वही बनते जिनमें सर्व शक्तियां हैं । सर्वशक्तियों को समय प्रमाण कार्य में लगाओ तो विघ्न ठहर नहीं सकते । कितने भी रूप से माया आये लेकिन आप नॉलेजफुल बनो । नॉलेजफुल आत्मा कभी माया से हार खा नहीं सकती । जब मस्तक पर बापदादा की दुआओं का हाथ है तो विजय का तिलक लगा हुआ है । परमात्म हाथ और साथ विघ्न-विनाशक बना देता है । स्लोगन:- स्वयं में गुणों को धारण कर दूसरों को गुणदान करने वाले ही गुणमूर्त हैं । ओम् शान्ति |