Saturday, December 27, 2014

Murli-28/12/2014-Hindi

28-12-14 प्रातःमुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त बापदादा” रिवाइज 31-12-98 मधुबन “हिम्मत के आधार पर स्वयं को मेहनत मुक्त बन सदा विजयी अनुभव करो” नये वर्ष में क्या मनाते हैं? एक तो गिफ्ट देते और दूसरा ग्रीटिंग्स देते हैं । मिठाई खूब खाते खिलाते हैं । नाचते गाते भी बहुत हैं । तो आप सिर्फ 12 के बाद एक दिन नया वर्ष नहीं मनाना लेकिन ब्राह्मण बच्चों के लिए इस नव युग में हर घड़ी नई है, हर श्वांस नया है, हर संकल्प नया है, इसलिए सदा पूरा वर्ष, एक दिन नहीं, एक सप्ताह नहीं, एक मास नहीं, चार मास नहीं, आठ मास नहीं, 12 ही मास सदा एक दो को दिलखुश मिठाई बाँटते रहना । बाटेंगे ना! दिलखुश मिठाई बाँटने आती हैं? सभी होशियार हैं । तो दिलखुश मिठाई बांटना । कोई आपकी दिल खुश मिठाई अपने स्वभाव के कारण, संस्कार के कारण, समस्या के कारण अगर नहीं भी स्वीकार करे तो आप दिलशिकस्त नहीं होना । आपने बांटी, आपका आज्ञाकारी बनने का चार्ट बापदादा के पास जमा हो गया | यह नहीं देखना कि मैंने तो दिलखुश मिठाई खिलाई लेकिन यह तो नाराज हो गया, कोई हर्जा नहीं, वह राज को नहीं जानता है ना तो नाराज हो गया । आप तो राज़ को जानते हो ना! वरदान:- निर्माणता के गुण को धारण कर सबको सुख देने वाले सुख देवा, सुख स्वरूप भव ! आप महान आत्माओं की निशानी है निर्माणता । जितना निर्माण बनेंगे उतना सर्व द्वारा मान प्राप्त होगा । जो निर्माण हैं वह सबको सुख देंगे । जहाँ भी जायेंगे, जो भी करेंगे वह सुखदायी होगा । तो जो भी सम्बन्ध- सम्पर्क में आये वह सुख की अनुभूति करे । इसलिए आप ब्राह्मण आत्माओं का गायन है - सुख के सागर के बच्चे सुख स्वरूप, सुखदेवा । तो सबको सुख देते और सुख लेते चलो । कोई आपको दुख दे तो लेना नहीं । स्लोगन:- सबसे बड़े ज्ञानी वह हैं जो आत्म- अभिमानी रहते हैं । ओम् शान्ति |