Friday, December 26, 2014
Murli-27/12/2014-Hindi
मुरली 27 दिसंबर 2014
“मीठे बच्चे - सारा मदार कर्मों पर है, सदा ध्यान रहे कि माया के वशीभूत कोई उल्टा कर्म न हो जिसकी सजा खानी पड़े ।”
प्रश्न:-
बाप की नजर में सबसे अधिक बुद्धिवान कौन हैं?
उत्तर:-
जिनमें पवित्रता की धारणा है वही बुद्धिवान हैं और जो पतित हैं वह बुद्धिहीन हैं । लक्ष्मी-नारायण को सबसे अधिक बुद्धिवान कहेंगे । तुम बच्चे अभी बुद्धिवान बन रहे हो । पवित्रता ही सबसे मुख्य है इसलिए बाप सावधान करते हैं-बच्चे यह आँखें धोखा न दें, इनसे सम्भाल करना । इस पुरानी दुनिया को देखते हुए भी न देखो । नई दुनिया स्वर्ग को याद करो ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. बाप के साथ सदा सच्चा रहना है । अभी कोई भी भूल हो जाए तो छिपाना नहीं है । आँख कभी क्रिमिनल न हो - इसकी सम्भाल करनी है ।
2. सदा शुद्ध नशा रहे कि बेहद का बाप हमें पतित छी-छी से गुलगुल, काँटों से फूल बना रहे हैं । अभी हमें बाप का हाथ मिला है, जिसके सहारे हम विषय वैतरणी नदी पार हो जायेंगे ।
वरदान:-
पवित्र प्यार की पालना द्वारा सर्व को स्नेह के सूत्र में बांधने वाले मास्टर स्नेह के सागर भव !
जब स्नेह के सागर और स्नेह सम्पन्न नदियों का मेल होता है तो नदी भी बाप समान मास्टर स्नेह का सागर बन जाती है इसलिए विश्व की आत्मायें स्नेह के अनुभव से स्वत: समीप आती हैं । पवित्र प्यार वा ईश्वरीय परिवार की पालना, चुम्बक के समान स्वत: ही हर एक को समीप ले आती है । यह ईश्वरीय स्नेह सबको सहयोगी बनाए आगे बढ़ने के सूत्र में बाँध देता है ।
स्लोगन:-
संकल्प, बोल, समय, गुण और शक्तियों के खजाने जमा करो तो इनका सहयोग मिलता रहेगा ।
ओम् शांति |