Wednesday, May 28, 2014

Murli-[28-5-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम बाप से भक्ति का फल लेने आये हो, जिन्होंने जास्ती भक्ति की होगी वही ज्ञान में आगे जायेंगे'' 
प्रश्न:- कलियुगी राजाई में किन दो चीज़ों की जरूरत रहती है जो सतयुगी राजाई में नहीं होगी? 
उत्तर:- कलियुगी राजाई में 1. वजीर और 2. गुरू की जरूरत रहती है। सतयुग में यह दोनों ही नहीं होंगे। वहाँ किसी की राय लेने की दरकार नहीं क्योंकि सतयुगी राजाई संगम पर बाप की श्रीमत से स्थापन होती है। ऐसी श्रीमत मिलती है जो 21 पीढ़ी तक चलती है और सब सद्गति में हैं इसलिए गुरू की भी दरकार नहीं है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बेहद बाप से बेहद का वर्सा लेने के लिए पावन जरूर बनना है। जब अभी पवित्रता का वर्सा लो अर्थात् काम जीत बनो तब जगतजीत बन सकेंगे।
2) बेहद बाप से पढ़ाई पढ़कर स्वयं को कौड़ी से हीरे जैसा बनाना है। बेहद का सुख लेना है। नशा रहे-मनुष्य से देवता बनाने वाला बाप अभी हमारे सम्मुख है, अभी है हमारा यह सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल।
वरदान:- समय प्रमाण अपने भाग्य का सिमरण कर खुशी और प्राप्तियों से भरपूर बनने वाले स्मृति स्वरूप भव
भक्ति में आप स्मृति स्वरूप आत्माओं के यादगार रूप में भक्त अभी तक आपके हर कर्म की विशेषता का सिमरण करते अलौकिक अनुभवों में खो जाते हैं तो आपने प्रैक्टिकल जीवन में कितने अनुभव प्राप्त किये होंगे! सिर्फ जैसा समय, जैसा कर्म वैसे स्वरूप की स्मृति इमर्ज रूप में अनुभव करो तो बहुत विचित्र खुशी, विचित्र प्राप्तियों का भण्डार बन जायेंगे और दिल से यही अनहद गीत निकलेगा कि पाना था सो पा लिया।
स्लोगन:- नम्बरवन में आना है तो सिर्फ ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रखते चलो।