Wednesday, May 14, 2014

Murli-[14-5-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - इस जन्म के पापों से हल्का होने के लिए बाप को सच-सच 
सुनाओ और पिछले जन्मों के विकर्मों को योग अग्नि से समाप्त करो'' 

प्रश्न:- खुदाई खिदमतगार बनने के लिए कौन-सी एक चिंता (फुरना) चाहिए? 
उत्तर:- हमें याद की यात्रा में रहकर पावन जरूर बनना है। पावन बनने का फुरना चाहिए। 
यही मुख्य सबजेक्ट है। जो बच्चे पावन बनते हैं वही बाप के खिदमतगार बन सकते। 
बाप अकेला क्या करेगा इसलिए बच्चों को श्रीमत पर अपने ही योगबल से विश्व को 
पावन बनाकर पावन राजधानी बनानी है। पहले स्वयं को पावन बनाना है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) मुरली सुनकर फिर सुनानी है। पढ़ने के साथ-साथ पढ़ाना भी है। कल्याणकारी बनना है। 
बैज मैसेन्जर की निशानी है, यह सदा लगाकर रखना है। 

2) विश्व में शान्ति स्थापन करने के लिए याद की यात्रा में रहना है। जैसे बाप की नज़र 
बेहद में रहती है, सारी दुनिया को पावन बनाने के लिए करेन्ट देते हैं, ऐसे फालो फादर 
कर मददगार बनना है। 

वरदान:- बुद्धि को मेरेपन के फेरे से निकाल उलझनों से मुक्त रहने वाले न्यारे, ट्रस्टी भव 

जब बुद्धि कहाँ भी उलझन में आती है तो समझ लो जरूर कोई न कोई मेरापन है। जहाँ मेरा 
आया वहाँ बुद्धि का फेरा हुआ। गृहस्थी बनकर सोचने से गड़बड़ होती है इसलिए बिल्कुल 
न्यारे और ट्रस्टी बन जाओ। ये मेरापन - मेरा नाम खराब होगा, मेरी ग्लानि होगी.. यह 
सोचना ही उलझना है। फिर जितना सुलझाने की कोशिश करेंगे उतना उलझते जायेंगे 
इसलिए ट्रस्टी बन इन उलझनों से मुक्त हो जाओ। भगवान के बच्चे कभी उलझनों में 
नहीं आ सकते। 

स्लोगन:- बड़े बाप के बच्चे हो इसलिए न तो छोटी दिल करो और न छोटी बातों में घबराओ।