मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - ज्ञान की बुलबुल बन आप समान बनाने की सेवा करो,
प्रश्न:- भगवान् अपने बच्चों से कौन-सी प्रॉमिस करते हैं जो मनुष्य नहीं कर सकते?
उत्तर:- भगवान् प्रॉमिस करते - बच्चे, मैं तुमको अपने घर जरूर ले जाऊंगा। तुम श्रीमत
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस शरीर को भी भूल पूरा पवित्र बेगर बनना है। लाइन क्लीयर रखनी है। बुद्धि में
2) पढ़ाई के हर कदम में पद््म हैं, इसलिए अच्छी तरह रोज़ पढ़ना है। देवता घराने का
वरदान:- सहनशक्ति की धारणा द्वारा सत्यता को अपनाने वाले सदा के विजयी भव
दुनिया वाले कहते हैं कि आजकल सच्चे लोगों का चलना ही मुश्किल है, झूठ बोलना
स्लोगन:- प्रसन्न रहना और प्रसन्न करना - यह है दुआयें देना और दुआयें लेना।
जांच करो कि कितनों को आप समान बनाया है, याद का चार्ट क्या है?''
प्रश्न:- भगवान् अपने बच्चों से कौन-सी प्रॉमिस करते हैं जो मनुष्य नहीं कर सकते?
उत्तर:- भगवान् प्रॉमिस करते - बच्चे, मैं तुमको अपने घर जरूर ले जाऊंगा। तुम श्रीमत
पर चलकर पावन बनेंगे तो मुक्ति और जीवनमुक्ति में जायेंगे। नहीं तो मुक्ति में हर एक
को जाना ही है। कोई चाहे, न चाहे, जबरदस्ती भी हिसाब-किताब चुक्तू कराके ले जाऊंगा।
बाबा कहते जब मैं आता हूँ तो तुम सबकी वानप्रस्थ अवस्था होती है, मैं सबको ले जाता हूँ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस शरीर को भी भूल पूरा पवित्र बेगर बनना है। लाइन क्लीयर रखनी है। बुद्धि में
रहे-अब नाटक पूरा हुआ, हम जाते हैं अपने स्वीट होम।
2) पढ़ाई के हर कदम में पद््म हैं, इसलिए अच्छी तरह रोज़ पढ़ना है। देवता घराने का
भाती बनने का पुरूषार्थ करना है। अपने आपसे पूछना है कि हमें अतीन्द्रिय सुख कहाँ
तक भासता है? खुशी रहती है?
वरदान:- सहनशक्ति की धारणा द्वारा सत्यता को अपनाने वाले सदा के विजयी भव
दुनिया वाले कहते हैं कि आजकल सच्चे लोगों का चलना ही मुश्किल है, झूठ बोलना
ही पड़ेगा, कई ब्राह्मण आत्मायें भी समझती हैं कि कहाँ-कहाँ चतुराई से तो चलना ही
पड़ता है, लेकिन ब्रह्मा बाप को देखा सत्यता व पवित्रता के लिए कितनी आपोजीशन
हुई फिर भी घबराये नहीं। सत्यता के लिए सहनशक्ति की आवश्यकता होती है।
सहन करना पड़ता है, झुकना पड़ता है, हार माननी पड़ती है लेकिन वह हार नहीं है,
सदा की विजय है।
स्लोगन:- प्रसन्न रहना और प्रसन्न करना - यह है दुआयें देना और दुआयें लेना।