Friday, May 9, 2014

Murli-[9-5-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम सिद्ध करके बताओ कि बेहद का बाप हमारा बाप भी है, 
शिक्षक भी है और सतगुरू भी है, वह सर्वव्यापी नहीं हो सकता'' 

प्रश्न:- इस समय दुनिया में अति दु:ख क्यों है, दु:ख का कारण सुनाओ? 
उत्तर:- सारी दुनिया पर इस समय राहू की दशा है, इसी कारण दु:ख है। वृक्षपति बाप जब 
आते हैं तो सब पर बृहस्पति की दशा बैठती है। सतयुग-त्रेता में बृहस्पति की दशा है, 
रावण का नाम-निशान नहीं है इसलिए वहाँ दु:ख होता नहीं। बाप आये हैं सुखधाम की 
स्थापना करने, उसमें दु:ख हो नहीं सकता। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) कलियुगी लोक लाज कुल की मर्यादा छोड़ ईश्वरीय कुल की मर्यादाओं को धारण करना है। 
अशरीरी बाप जो सुनाते हैं वह अशरीरी होकर सुनने का अभ्यास पक्का करना है। 

2) बेहद का बाप, बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है, यह कान्ट्रास्ट सभी को समझाना है। 
यह सिद्ध करना है कि बेहद का बाप सर्वव्यापी नहीं है। 

वरदान:- स्व स्वरूप और बाप के सत्य स्वरूप को पहचान सत्यता की शक्ति धारण करने वाले 
दिव्यता सम्पन्न भव 

जो बच्चे अपने स्व स्वरूप को वा बाप के सत्य परिचय को यथार्थ जान लेते हैं और उसी स्वरूप 
की स्मृति में रहते हैं तो उनमें सत्यता की शक्ति आ जाती है। उनके हर संकल्प सदा सत्यता वा 
दिव्यता सम्पन्न होते हैं। संकल्प, बोल, कर्म और सम्बन्ध-सम्पर्क सबमें दिव्यता की अनुभूति 
होती है। सत्यता को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं रहती। अगर सत्यता की शक्ति है तो खुशी 
में नाचते रहेंगे।

स्लोगन:- सकाश देने की सेवा करो तो समस्यायें सहज ही भाग जायेंगी।