Sunday, May 25, 2014

Murli-[25-5-2014]-Hindi

25-05-14    प्रातः मुरली
ओम् शान्ति   “अव्यक्त-बापदादा”
रिवाइज: 07-01-78   मधुबन
 
 “विदेशी बाप की विदेशी बच्चों से मुलाकात”
आज विदेशी बाप इस साकार दुनिया के विदेशी बच्चों से मिलने आये हैं | हैं दोनों ही विदेशी | आज विशेष विदेशी बच्चों से मिलने क्यों आये हैं, अपनी विशेषता को जानते हो? जिस विशेषता के कारण बाप भी विशेष रूप से आए हैं | विदेशियों में कौन सी विशेषता है | बाप जानते हैं कि मेरे ही कल्प पहले वाले बच्चे जो दूर-दूर इन व्यक्त देशों में भिन्न नाम, रूप, धर्म में चले गये थे वे फिर से अपने बिछुड़े हुए बाप वा परिवार से मिलने अपने असली स्थान पर आ पहुँचे  हैं | ऐसे अनुभव होता है? जितनी आप लोगों को बाप के पाने की व अपने परिवार को पाने की ख़ुशी है, उससे ज़्यादा बाप को ख़ुशी है क्योंकि बाप जानते हैं कि बच्चे ही घर का श्रृंगार हैं | जैसे श्रृंगार के बिना कोई भी व्यक्ति या स्थान अच्छा नहीं लगता ऐसे ही बाप को भी बच्चों के श्रृंगार के बिना अच्छा नहीं लगता | विदेशी आत्माओं में एक विशेषता के कारण विशेष बाप का ज़्यादा लव है | कौन सी विशेषता? जैसे इण्डिया (भारत) में एक खेल खेलते हैं तो कई चीज़ों को कपड़े के अन्दर छिपाकर रखते हैं, ऊपर से कपड़े का कवर डाल देते हैं और बच्चों को कहते हैं कवर उतार कर सब चीज़ों को देखो फिर कवर लगा देते हैं, फिर बच्चों की बुद्धि का पेपर (परीक्षा) लेते हैं कि कौन-कौन सी चीज़ें थी और कितनी चीज़ें थी? फिर जो जैसी चीज़ें थी, जीतनी थी उतनी ही याद कर लेते हैं व सुनाते हैं तो उनको नम्बर मिलते हैं | यह बुद्धि का खेल बच्चों को कराया जाता है | ऐसे ही विदेशी बच्चे भी भिन्न धर्म, भिन्न फिलासॉफी, भिन्न प्रकार के रहन-सहन – इस कवर के अन्दर छिपे हुए बाप को, जो है, जैसा है, वैसे जान लिया इस बुद्धि की कमाल के कारण विदेशी बच्चों से स्नेह है | समझा | 
इस बुद्धि के खेल में जो कोटों में कोई पास हुए हैं ऐसे बच्चों को देख बापदादा भी हर्षित होते हैं | आप सब भी हर्षित होते हो? बाप ज़्यादा हर्षित होते या आप ज़्यादा हर्षित होते हो? सदैव यही ख़ुशी के गीत गाते रहो कि जो पाना था, वह पा लिया | इस खुशी में रहने से किसी भी प्रकार की उलझन व उदासी आ नहीं सकती अर्थात् माया प्रूफ हो जायेंगे | ऐसे मायाप्रूफ बन जाओ जो आपका एग्ज़ाम्पुल बापदादा सभी को दिखावे | ऐसे एग्ज़ाम्पुल बने हो? कौन समझते हैं कि हम अभी ऐसे एग्ज़ाम्पुल बने हैं जो विश्व के आगे बापदादा हमें रख सकते हैं? एवररेडी नहीं रेडी हैं? क्योंकि विदेश के रहने वाले बच्चों को यह भी एक विशेष लिफ्ट है जो स्वयं को विश्व के आगे प्रख्यात कर बाप का परिचय देते हैं – ऐसी सर्विस करने से एक्स्ट्रा मार्क्स मिल जायेंगी | ऐसी सर्विस की है या करनी है? भारत की आत्मायें आप लोगों को देख समझेंगी कि इन्होंने बाप को पहचाना लेकिन हम लोगों ने नहीं पहचाना | आपकी पहचानी हुई सूरत को देख भारतवासियों को पश्चाताप होगा कि हमने अपने भाग्य को खो दिया इसलिए आप सब सर्विस के प्रति निमित्त हो | अभी देहली कान्फ्रेन्स में भी आप सब विदेश से आये हुए बच्चों की विशेष यही सेवा है कि जिस भी आत्मा को कोई देखे तो हर चेहरे से बाप द्वारा प्राप्त हुई अविनाशी ख़ुशी, अतीन्द्रिय सुख, अविनाशी शान्ति की झलक दिखाई दे | आप सबके चेहरे बाप द्वारा प्राप्त हुई प्रॉपर्टी दिखाने के आईने बन जायेंगे | ऐसी सर्विस करने वालों को बाप-दादा द्वारा विशेष मार्क्स का इनाम मिलेगा | यह सर्विस तो सहज है ना या मुश्किल है? 
जैसे कोई भी प्रकार की लाईट अपनी तरफ़ आकर्षित ज़रूर करती है, ऐसे आप सब आत्मायें भी लाईट और माईट रूप हो बाप की तरफ़ आकर्षित करो | समझा कान्फ्रेन्स में क्या सेवा करनी है? विदेश में रहने वाले बच्चों के पास माया आती है? घबराने वाले तो नहीं हो ना | माया को चैलेन्ज करते हो कि आओ और विदाई ले जाओ | माया का आना अर्थात् अनुभवी बनना इसलिए माया से कभी घबराना नहीं | घबरायेंगे तो वह भी विकराल रूप धारण करेगी | घबरायेंगे नहीं तो नमस्कार करेगी | है कुछ नहीं | कागज़ का शेर है | कागज़ के शेर से घबराने वाले हो क्या? विकराल रूप धारण करती है लेकिन है शक्तिहीन | जैसे यहाँ भी भयानक चेहरे लगाकर डराते हैं लेकिन अन्दर तो मनुष्य ही होते हैं | बाहर का कवर उतार दो तो कोई डर नहीं | लेकिन अगर बाहर के रूप को देख घबरायेंगे तो फ़ेल हो जायेंगे | माया से हार ज़्यादा होती है या विजय ज़्यादा होती है? 
विदेश से आये हुए बच्चों में से कौन समझते हैं कि हम 108 की माला के मणकों में हैं? निश्चय की विजय तो हो ही जाती है | कभी भी लक्ष्य कमज़ोर नहीं रखना | सदा श्रेष्ठ लक्ष्य रखना कि हम ही कल्प वाले विजयी थे और सदा रहेंगे | तो सदा अपने को विजयी रत्न ही अनुभव करेंगे | 
बहुत देशों से आये हुए हैं | जिन-जिन देशो से बाप के बच्चे निकले हैं उन स्थानों का भी महत्व है | यह स्थान भी किसी न किसी रूप से यादगार बन जाते हैं | आप लोग विशेष उन स्थानों पर चक्कर लगाते रहेंगे | (बिजली बन्द हो गई) अशरीरी बनना इतना ही सहज होना चाहिए | जैसे स्थूल वस्त्र उतार देते हैं वैसे यह देह-अभिमान के वस्त्र सेकण्ड में उतारने हैं | जब चाहें धारण करें, जब चाहें न्यारे हो जाएँ | लेकिन यह अभ्यास तब होगा जब किसी भी प्रकार का बन्धन नहीं होगा | अगर मन्सा संकल्प का भी बन्धन है तो डिटैच हो नहीं सकेंगे | जैसे कोई तंग कपड़ा होता है तो सहज और जल्दी नहीं उतार सकते हो | इस प्रकार से मन्सा, वाचा, कर्मणा, सम्बन्ध में अगर अटैचमेन्ट है, लगाव है तो डिटैच नहीं हो सकेंगे | ऐसा अभ्यास सहज कर सकते हो | जैसा संकल्प, वैसा स्वरूप हो जाए | संकल्प के साथ-साथ स्वरूप बन जाते हो या संकल्प के बाद टाइम लगता है स्वरूप बनने में? संकल्प किया और अशरीरी हो जाओ | संकल्प किया मास्टर प्रेम के सागर की स्थिति में स्थित हो जाओ और वह स्वरूप हो जाए | ऐसी प्रैक्टिस है? अब इसी प्रैक्टिस को बढ़ाओ | इसी प्रैक्टिस के आधार पर स्कालरशिप ले लेंगे | 
अब तक विदेशियों ने एक प्लैन प्रैक्टिकल नहीं किया है | याद है कि कौन सा प्लान दिया था? अभी भारत के कुम्भकरण खूब सोये हुए हैं | अब देखेंगे कि कान्फ्रेन्स में कैसे छींटे लगाते हो! जो बिल्कुल गहरी नींद में सोये होते हैं उनको पानी के छींटे लगाकर उठाना पड़ता है | यह प्लान प्रैक्टिकल में लाओ | ऐसा हो जो आपके सामने आते ही समझ जायें कि हम लोगों को भी जागना चाहिए और बनना चाहिए | सबका उनकी आवाज़ के तरफ़ न चाहते हुए भी अटेन्शन जाए | किसी भी तरफ़ से ऐसा कोई तैयार किया है? 
सभी सर्विस स्थान ठीक चल रहे हैं? सभी स्वयं से और सर्विस से सन्तुष्ट हो? आप मोस्ट लकी हो | समझते हो कि हम विशेष सिकीलधे, लाडले हैं | सभी सेन्टर्स में रेस में नम्बरवन कौन हैं? हरेक देश की अपनी विशेषता भी है, लन्दन तो निमित्त होने के कारण प्लैनिंग सेन्टर हो गया है | इस विशेषता के कारण लन्दन को नम्बरवन कहेंगे | लेकिन सर्विसएबुल और आवाज़ फ़ैलाने वाले विशेष क्वालिटी की सर्विस में गयाना नम्बरवन है | संख्या के हिसाब से मॉरीशियस नम्बरवन है और लुसाका इतना सब कुछ सहन करते हुए सरकमस्टानसेज़ को पार करने में, हलचल की परिस्थिति होते हुए भी अचल रहने में नम्बरवन है | आस्ट्रेलिया की भी विशेषता है, एक-एक दीप से अनेक दीपक जगाकर दीप माला करने में नम्बरवन है | आस्ट्रेलिया और भी आगे बढ़ सकता है | प्लैनिंग बुद्धि हैं और प्लैन भी बहुत अच्छे बनाते हैं | अगर वही सब प्लैन प्रैक्टिकल में लायें तो लन्दन से भी नम्बरवन हो सकते हैं | लेकिन अभी बुद्धि तक प्लैन्स हैं, प्रैक्टिकल नहीं किये हैं |  
एक-एक रत्न वैल्युबुल है लेकिन अपनी वैल्यु को स्टेज तक नहीं लाया है | बाप-दादा की उम्मीद है, यह मरिया कर सकती है | सिर्फ़ त्याग और तपस्या की ड्रेस पहन फिर स्टेज पर आओ तो विजय आपके गले का हार बन जायेगी | सर्विस करके फिर किसी को साथ में इण्डिया ले आओ | आस्ट्रेलिया की धरनी अच्छी है | 
जर्मनी से भी आवाज़ निकालने वाली आत्मायें निकल सकती हैं | मेहनत अच्छी कर रहे हैं | अब वहाँ से ऐसा कोई प्रैक्टिकल में विशेष एग्ज़ाम्पुल चाहिए जिसको सामने देखते हुए आत्माओं को विशेष प्रेरणा मिले | लेकिन हिम्मत और उल्लास में नम्बरवन हैं | लेस्टर तो लन्दन के साथ हैं | लेस्टर वालों की भी कमाल है, लेस्टर में निश्चय बुद्धि विजयन्ती बच्चे बहुत अच्छे हैं | परिवार के परिवार एग्ज़ाम्पुल देने के लिए बहुत अच्छे तैयार हुए हैं | बाप-दादा के दिल-पसन्द हैं | नैरोबी और बुलवायो तीव्र पुरुषार्थी, लगन में मगन रहने में कम नहीं है | नम्बर आगे हैं | शमा पर परवाने बनने का एग्ज़ाम्पुल प्रैक्टिकल में देखा ना | अगर वह निमित्त बनी हुई आत्मा कहीं भी अपना अनुभव सुनाये तो उसकी आवाज़ भी कुछ कार्य कर सकती है | हांगकांग की धरनी में स्नेही और सहयोगी आत्माओं की विशेषता है और शक्तिशाली आत्मायें भी हांगकांग की धरनी में हैं लेकिन अभी छिपी हुई हैं | समय आने पर हांगकांग की धरनी पर छिपे हुए रत्न सबको दिखाई देंगे | तो हरेक विदेश के सेवा-केन्द्र की अपनी-अपनी विशेषता हैं, इसलिए सब नम्बरवन हैं | कैनाडा भी अभी इसमें नम्बर ले रहा है, रेडी हो रहा है | कैनाडा की धरनी में भी विशेषता है, जो वहाँ से एक अगर निकल आया तो सहज ही एक अनेकों को निकाल सकता है | उम्मीदवार हैं | एक भी निकल आया तो फिर डर नहीं लगेगी | लास्ट सो फ़ास्ट जायेंगे, मेहनत अच्छी कर रहे हैं, लगन भी अच्छी है | मेहनत भी अच्छी है, शुभ भावना भी अच्छी है | शुभ भावना अपना फल ज़रूर देती है | 
फिर भी कमाल जनक की है जो विदेश की धरती में सदा उमंग, उत्साह बढ़ाने के निमित्त बनी हुई है | पान का बीड़ा उठाया है | सहयोगी हैन्ड्स बहुत अच्छे हैं फिर भी कहेंगे पान का बीड़ा उठाया है | जैसे-जैसे विनाश का समय आता जायेगा तो वातावरण को देख आप संदेश देने वालों को ढूँढेंगे कि यह कौन से फ़रिश्ते थे, जिन्होंने हमें बाप का परिचय दिया | सर्विस में जहाँ भी पाँव रखा है, वहाँ सफ़लता न हो, यह हो नहीं सकता | कोई धरती जल्दी ही फल देती है, कोई धरती फल देने में समय लेती हैं, लेकिन फल ज़रूर देती है | 
जैसे इण्डिया में ट्रेन जाती है तो बीच-बीच में अपने स्थान, सेवाकेन्द्र हैं, वैसे ही प्लेन जहाँ-जहाँ ठहरे वहाँ भी सेन्टर हों | होने ही हैं बाकी विदेश वालों की रेस अच्छी चल रही है | अच्छा | 
पार्टियों से
1.वृत्ति चंचल होने का कारण तथा अचल बनने की सहज युक्ति

वृत्ति चंचल होने का कारण क्यों और क्या – यही दो शब्द हलचल में लाते हैं और एक शब्द नथिंग न्यु अचल बना देता है | होना ही है और हुआ ही पड़ा है, इसके सिवाए और कोई बात नहीं तो चंचल होंगे? नथिंग न्यु तो क्यों और क्या समाप्त हो जाता है | कैसी भी बात आ जाए, चाहे मन्सा की, चाहे वाणी की, चाहे सम्पर्क-सम्बन्ध की, लेकिन नथिंग न्यु | क्या और क्यों का क्वेश्चन नई चीज़ में लगता है | नथिंग न्यु में न क्वेश्चन और न आश्चर्य | तो इसी पाठ को रिवाइज़ करके पक्का करो |

2.माया की चाल से बचकर सदा विजयी बनने की विधि

मास्टर सर्वशक्तिमान् की स्टेज पर स्थित रहो | मास्टर सर्वशक्तिमान् अर्थात् विजयी रत्न | माया अन्दर से बिल्कुल ही शक्तिहीन है, उसका बाहर का रूप देख घबराओ नहीं, उसको जिन्दा समझ मूर्छित न हो जाओ, माया मूर्छित हुई पड़ी है | लेकिन कभी-कभी मूर्छित को देखकर भी मूर्छित हो जाते हैं | अब उसे ख़ुशी-ख़ुशी विदाई दो | नॉलेजफुल की स्टेज पर रहो तो कभी धोखा नहीं खा सकते |

3.अमरनाथ बाप द्वारा संगम पर भी सदा अमर रहने का वरदान

“अमर भव” यह वरदान इस जन्म में भी और भविष्य में भी प्राप्त होता है | संगम पर माया से बचने का अमर वरदान और भविष्य में अकाले मृत्यु से बचने का वरदान मिला हुआ है | अमर-भव के वरदान पाने वाले को माया हिला नहीं सकती, दूर से भी नज़र नहीं डाल सकती | सदा नमस्कार करती है | सदा स्मृति में रखो कि हमें अमरभव का वरदान मिला हुआ है | वरदान वाली आत्मा निश्चय बुद्धि होने के कारण विजयन्ती होती है | जिन्हें इस वरदान का नशा रहता है वह स्वप्न में भी माया से मूर्छित नहीं हो सकते | बाप द्वारा वरदान मिलना कोई कम बात है क्या? सद्गुरु स्वयं वरदान दे तो कितना नशा रहना चाहिए | अच्छा |

वरदान:-   
चेहरे द्वारा सर्व श्रेष्ठ प्राप्तियों का अनुभव कराने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव !    
संगमयुग पर आप ब्राह्मण आत्माओं को वरदान है “सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव” | ऐसी वरदानी आत्मा को मेहनत नहीं करनी पड़ती | उनके चेहरे की चमक बताती है कि इन्होंने कुछ पाया है, यह प्राप्ति स्वरूप आत्मायें हैं | कोई-कोई बच्चों के चेहरे को देख लोग कहते हैं कि ऊँची मंज़िल है, इन्होंने त्याग बहुत ऊँचा किया है | त्याग दिखाई देता है लेकिन भाग्य नहीं | जब सर्व प्राप्तियों के नशे में रह अपना भाग्य दिखाओ तो सहज आकर्षित होकर आयेंगे |
स्लोगन:- 
जहाँ उमंग-उत्साह और एकमत का संगठन है, वहाँ सफ़लता समाई हुई है |     
 
ओम् शान्ति |